बंगाल में कम सीटें आने के बावजूद भी छिपा है भाजपा की जीत के कई राज!

बंगाल में कम सीटें आने के बावजूद भी छिपा है भाजपा की जीत के कई राज!
कोलकाता। जिस तरह से पश्चिम बंगाल में भाजपा दमभर रही थी,उसका परिणाम मिलता दिख रहा है, हालांकि भाजपा सत्ता से दूर होती दिख रही है। ये शुरूआती रुझान बता रहे हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी के बाद बीजेपी ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। कांग्रेस और वाम दल के लिए चिंता का विषय हो सकती है। आगामी समयों में भाजपा का साफ का किला बंगाल में सबसे मजबूत होगा, हर चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस ख़ुशी मनाती है। इस चुनाव में भी कांग्रेस अपनी हार और बीजेपी के सत्ता से दूर रहने पर बम फटका फोड़ने की तैयारी में होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से हर चुनाव में मुंह की खाने के बाद भी कांग्रेस अपने में कोई बदलाव नहीं की। बल्कि परपीड़ा से उत्साहित होती है और ख़ुशी महसूस करती है। रुझानों से लगता है कि नंदीग्राम में  बनर्जी के साथ ‘खेला होबे ‘ का जुमला सही साबित  है. भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी को काफी वोटों के अंतर से पछाड़ दिया है.
लेकिन सवाल यह है कि बीजेपी की पश्चिम बंगाल में जिस तरह से लहर थी, उसे भूना क्यों नहीं पाई ? इसके कई पहलू सामने आ रहे हैं। पहली बात यह कि कोरोना ने बीजेपी के प्रचार की रणनीति को बदलने को मजबूर कर दिया। ऐसा नहीं है कि  पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने चुनाव प्रचार नहीं किया, किया जोरों से किया,अंतिम पड़ाव पर कोरोना ने बीजेपी को सत्ता से दूर कर दिया। जिस तरह से बीजेपी के चुनाव प्रचार में लोगों का हुजूम उमड़ रहा था वह नतीजों में तब्दील नहीं हो पाया।
दूसरी पहलू यह सामने आ रहा है कि वाम और कांग्रेस के वोट शेयर टीएमसी में स्थानांतरित हुआ है. जिसकी वजह से बीजेपी पश्चिम बंगाल में सत्ता से दूर खड़ी नजर आ रही है।  हालांकि ये के चुनाव परिणाम के शुरुआती रूझान हैं. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में वाम पार्टियों के वोट बीजेपी में स्थानांतरित हुए थे.
कांग्रेस का चुनाव प्रचार नहीं करना भी एक कारण हो सकता है.कांग्रेस द्व्रारा पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार नहीं करना रणनीति थी। जिसका लाभ टीएमसी को मिलता दिखा रहा है।
वाम दलों ने उस तरह स जोर नहीं लगाया जिसकी जरूरत थी।
इधर, बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि अभी कई राउंड्स बाकी हैं, इसलिए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। शाम तक स्थिति साफ होगी। हमने तीन से शुरुआत की थी और चुनौती दी गई थी कि हम सौ का आंकड़ा नहीं पार कर पाएंगे, लेकिन हम उस संख्या को पार कर रहे हैं। हम मैजिक नंबर भी क्रॉस करेंगे।
 बता दें कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा था कि बीजेपी 100 सीट पार नहीं कर पायेगी। तृणमूल जीत दर्ज करेगी. एक पब्लिक प्लेटफॉर्म पर  कुछ पत्रकारों के साथ बातचीत लीक होने पर भी उन्होंने अपने दावे को दोहराया था. इससे पहले उन्होंने बीजेपी के दहाई और बाद में तिहाई के आंकड़े पार करने पर चुनावी रणनीतिकार का पेशा छोड़ने तक की बात कह डाली थी.देखना होगा प्रशांत किशोर क्या कदम उठाते हैं. लेकिन बीजेपी के हौसले सातवें आसमान पर है। जहां वह शून्य थी अब ये आकड़े सैकड़ा में पहुँच गया है. बीजेपी में उत्साह की लहर है। 100 का आकड़ा छूकर बीजेपी ने जता दिया है कि कोई भी राजनीति किला सेव नहीं है।
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