हाल ही के दिनों में अमेरिका में चल रही चुनावी रैली के दरम्यान अमेरिका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रंप पर जान लेवा हमला हुआ था। इस हमले में वो बाल बाल बचे और गोली कान को छूती हुई निकली गयी। हमलावर को सीक्रेट सर्विस ने वही मार गिराया था। पर इस हमले के बाद से अमेरिकी चुनाव में ट्रंप विरोधियों की बयानबाजी से बवाल मचा है। विशेषज्ञों का कहना है ये विरोधियों की शब्दावली ही थी, जिसने 20 साल के हमलावर थॉमस मैथिव क्रुक्स को ट्रंप पर हमले के लिए उकसाया था।
बता दें की ट्रंप के विरोधी ट्रंप के चरित्र हनन के लिए उसका जिक्र तानाशाह, हिटलर, नाझीवादी, फासीवादी के शब्दावली जोड़कर करते है। ऐसे शब्दों का प्रयोग कर विरोधकों द्वारा ट्रंप के प्रति हिंसा को नॉर्मलाइज़ किए जाने की बात विशेषज्ञ कर रहे है। कई रैलियों में स्थानिक नेताओं ने ट्रंप को ख़त्म करने, मिटाने, ध्वस्त करने और गाढ़ने की बातें की गई है, जिसके वीडियो और ऑडियो लगातार सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रहें है।
ट्रंप पर होने वाली आलोचना या शाब्दिक हमलों का पैटर्न भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विरोधियों द्वारा किए जाने वाले शाब्दिक हमलों और आलोचना से मेल खाता है। भारत में आए दिन मोदी के विरोधी उन्हें तानाशाह, फांसी वादी, हिटलर इन नामों की संज्ञा देते दिखाई दे रहे है। यह सिलसिला पिछले 22 साल से चला आ रहा है। भारत की सबसे बड़ी विरोधी पार्टी कांग्रेस ने तो उन्हें ‘मौत का सौदागर’ तक कह दिया था। इसी के साथ मोदी के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले तमाम बयानों से सोशल मीडिया आज भी भरा हुआ है।
मोदी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाले बयान: 2020 के फरवरी के वर्ष में राहुल गांधी का मोदी के लिए एक बयान काफी चर्चा में था, जिसमें राहुल गांधी ने कहा था की, मोदी घर से बाहर निकल नहीं पायेगा, हिंदुस्तान के युवा उसे ऐसा डंडा मारेंगे … उसको समझा देंगे। दरअसल उसी समय से इस बयान को जनता के बीच मोदी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाला बयान समझा जा रहा था। इस बयां के बाद मोदी के खिलाफ हिंसा से संबंधित कई बयान दिखे है।
ऐसे ही हाल के चुनावों में छत्तीससगढ़ कांग्रेस के नेता ने अपने भाषण में नरेंद्र मोदी का सर फ़ोड़नेवाला आदमी हमें चाहिए ऐसा बयान दिया था। वे मोदी के सबसे कड़े विरोधी है यह जताने के लिए उन्होंने भरे मंच से यह बयान दिया था। आरजेडी नेता अवधेश सिंह यादव ने कैमरे के आगे तो मोदी के खोपड़ी में गोली मार देने की बात भी की थी, जिसके बाद सोसल मीडिया पर काफी बवाल हुआ था।
जेएमएम के नेता मुहम्मद नजरुल हसन ने अपनी सभा में मोदी के बारें में कहा था, नरेंद्र मोदी के आत्मा में अब हिटलर बस रहा है …उसने 400 सीट पार करने का नारा दिया है, हम कहते है वो 400 पार नहीं 400 फिट गाढ़ दिया जाएगा। इस बयान के बाद नजरुल हसन की बड़ी आलोचना हुई थी। डीएमके लीडर टीएम अनबरसन ने मोदी को टुकड़ों में फाड़ने की बात कहीं थी।
इसी के साथ उत्तर प्रदेश चुनावों और खालिस्तानी गतिविधियों को हवा देने के लिए किसान आंदोलन किए गए थे। जिसमें मोदी विरोधी ‘मोदी मर जा तू’ गाना गा रहे थे। इसके आलावा मोदी का जिक्र होते ही विरोधी उसके साथ हिटलर, फांसीवादी, नाजीवादी, तानाशाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने लगते है,जो जनता के बीच मोदी के विरोध में हिंसक प्रवृत्ति और हिंसा को बढ़ाने का काम करता है। ऐसी ही शब्दावली और बयानों के परिणाम से ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के बाद भाजपा और मोदी समर्थक गहरी चिंता में है।
ट्रंप पर हमले के बाद भाजपा के नेता ने ऐसे शब्दावली और बयानों पर चिंता जाता रहें है। भाजपा के नेता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर इस शब्दावली को सामाजिक पटल पर उपयोग में ना लेने की सलाह विरोधियों को दे दी है। उन्होंने कहा है की, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति हिंसा के लिए उकसाने वाली भाषा के प्रयोग बंद होने चाहिए। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मारना, डंडे से मारना इस शब्द का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा था काफिले पर कुछ फेका गया तो कुछ फेका जा सकता है अर्थात कुछ फेका जाना डर के समाप्त होने का प्रतीक है। यह मोहब्बत की दुकान में ही हत्या और हिंसा के शब्द आ रहे है। आधा दर्जन से अधिक हत्या से सम्बंधित शब्दावली का उपयोग हो रहा है, इसीलिए हम यह कहना चाहते है की इस गंभीरता को समझे। कोई नेता इसको न समझाता हो तो में उसे समझता हूँ के वो भारत की राजनीति में नेतृत्व करने के योग्य नहीं।
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