भारत का चुनाव आयोग अब एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘ईसीआईनेट’ तैयार कर रहा है, जो मतदाताओं से लेकर चुनाव अधिकारियों, राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों तक सभी के लिए चुनावी प्रक्रिया को आसान और सुगम बनाने वाला होगा। यह ऐप चुनाव आयोग की पहले से मौजूद 40 से अधिक मोबाइल और वेब ऐप्स को एकीकृत कर एक ही मंच पर उपलब्ध कराएगा।
ईसीआईनेट के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को अलग-अलग ऐप्स डाउनलोड करने, लॉगिन याद रखने और बिखरी हुई जानकारी तलाशने की आवश्यकता नहीं रहेगी। इस प्लेटफॉर्म को ऐसा डिजाइन किया जा रहा है कि चुनाव से जुड़ी सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर मिलें। इसकी शुरुआत मार्च 2025 में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू व डॉ. विवेक जोशी द्वारा मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन में की गई थी।
इस ऐप के माध्यम से आम मतदाता, चुनावी ड्यूटी पर लगे अधिकारी, बूथ लेवल एजेंट, राजनीतिक दल और अन्य हितधारक चुनाव से संबंधित अद्यतन व सटीक जानकारी कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर प्राप्त कर सकेंगे। इसमें डाटा अपलोड करने की जिम्मेदारी केवल अधिकृत चुनाव अधिकारियों की होगी, जिससे सूचना की प्रामाणिकता सुनिश्चित की जा सके।
ईसीआईनेट में पहले से मौजूद वोटर हेल्पलाइन ऐप, सीविजिल, वोटर टर्नआउट, सुविधा 2.0, ईएसएमएस, सक्षम और केवाईसी ऐप जैसे महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म शामिल होंगे। इन सभी ऐप्स को मिलाकर अब तक 5.5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।
इस नई व्यवस्था से देश के लगभग 100 करोड़ वोटर्स, 10.5 लाख बीएलओ, 15 लाख बीएलए, 45 लाख पोलिंग ऑफिसर, 15,597 सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी, 4,123 ईआरओ और 767 जिला चुनाव अधिकारी लाभान्वित होंगे।
ईसीआईनेट लगभग तैयार हो चुका है और इसे लॉन्च से पहले गहन परीक्षण प्रक्रिया से गुजारा जा रहा है ताकि यह तकनीकी रूप से मज़बूत, सुरक्षित और उपयोग में सहज हो। इसे तैयार करने से पहले देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 36 मुख्य चुनाव अधिकारियों, 767 डीईओ, और 4,123 ईआरओ की राय ली गई। साथ ही आयोग द्वारा जारी 76 प्रकाशनों के 9,000 पृष्ठों का विश्लेषण भी किया गया है।
इस प्लेटफॉर्म पर दी जाने वाली सभी जानकारी भारत के चुनावी कानूनों—जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, निर्वाचक पंजीकरण नियम 1960, और निर्वाचन संचालन नियम 1961—के दायरे में रहेगी। चुनाव आयोग के निर्देश भी इसी के तहत मान्य होंगे।
ईसीआईनेट न केवल चुनावी पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को डिजिटल युग के अनुरूप और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
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