बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा के लिए चलाए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस अभियान को लेकर चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ का गंभीर आरोप लगा रहे हैं।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि इस तरह के ‘गंदे’ शब्दों का इस्तेमाल कर झूठा नैरेटिव बनाना न सिर्फ करोड़ों भारतीय मतदाताओं का अपमान है, बल्कि लाखों चुनाव कर्मियों की ईमानदारी पर भी सीधा हमला है।
आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया पारदर्शी और नियमों के तहत की जाती है, जिसका मकसद एक सटीक और विश्वसनीय मतदाता सूची तैयार करना है।
बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस अभियान के जरिए जानबूझकर वैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
उनका मानना है कि यह सब चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है। इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और अब तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है, जहां इसकी कानूनी लड़ाई शुरू हो चुकी है।
राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कई बार सार्वजनिक मंचों और सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग पर हमला बोला है। उन्होंने सीधे तौर पर आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया है, जिससे यह विवाद और भी गहरा गया है। उनके इन आरोपों के बाद ही चुनाव आयोग ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट की है। आयोग ने कहा है कि ऐसे आरोपों से संस्था की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
यह विवाद भारतीय चुनाव प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रहा है। जहां एक ओर चुनाव आयोग अपनी प्रक्रियाओं को सही ठहरा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा बता रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता को बनाए रख पाता है।
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