महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे रविवार को जम्मू-कश्मीर के कारगिल पहुंचे, जहां उन्होंने ‘सरहद शौर्यथॉन’ हाफ मैराथन को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह मैराथन कारगिल युद्ध के शहीदों को समर्पित है और भारतीय सेना, सरहद फाउंडेशन पुणे और आरहम फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही है।
कार्यक्रम से एक दिन पहले शनिवार को शिंदे ने सोनमर्ग और द्रास के बाजारों में स्थानीय निवासियों और व्यापारियों से मुलाकात की, जिनके रोजगार हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रभावित हुए हैं। उन्होंने स्थानीय जनता को आश्वस्त किया कि सरकार पर्यटन बहाल करने और उनके जीवन में स्थिरता लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
एकनाथ शिंदे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर कारगिल युद्ध की स्मृतियों को साझा करते हुए लिखा, “भले ही कारगिल युद्ध को कल 26 वर्ष पूरे हो जाएंगे, लेकिन उस युद्ध की स्मृतियां आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं। मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर जवानों को ‘सरहद शौर्यथॉन’ के माध्यम से एक अनोखी श्रद्धांजलि दी जा रही है।”
उन्होंने यह भी बताया कि वे द्रास में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे और इस आयोजन के माध्यम से शहीदों को नमन करेंगे। शिंदे ने कहा, “एक भारतीय नागरिक के तौर पर मैं इस आयोजन में भाग ले रहा हूं, ताकि अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकूं। यह केवल एक दौड़ नहीं, बल्कि उन अमर बलिदानों की स्मृति में एक सम्मान है।”
📍 सोनमर्ग, #जम्मूकाश्मीर
कारगिल युद्धाला उद्या २६ वर्षे पूर्ण होत असली तरीही या युद्धाच्या आठवणी आजही आपल्या मनात जिवंत आहेत. ज्या शूर जवानांनी या युद्धात आपल्या प्राणांची आहुती देऊन मातृभूमीचे रक्षण केले त्यांच्या स्मृतींना या सरहद्द शौर्यथॉनच्या माध्यमातून अनोखी मानवंदना… pic.twitter.com/SD06gmboPj
— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 21, 2025
इस अवसर पर आयोजित ‘सरहद कारगिल मैराथन’ न केवल कारगिल युद्ध की 26वीं वर्षगांठ (राजत जयंती) को समर्पित है, बल्कि ज़ोजिला युद्ध की प्लेटिनम जुबली का भी प्रतीक है। भारतीय सेना और आयोजक संस्थाएं इस दौड़ के माध्यम से देश के वीर जवानों के साहस और बलिदान को नई पीढ़ी के सामने जीवंत बनाए रखना चाहती हैं।
यह आयोजन राष्ट्रीय एकता, सम्मान और वीरगाथा की भावना को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बन रहा है। शहीदों की स्मृति में कारगिल की पहाड़ियों में गूंजती इस दौड़ की हर सांस भारत के उन वीरों को नमन है, जिन्होंने “युद्ध नहीं, शौर्य” की परिभाषा लिखी।
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