आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारतीय लोकतंत्र का “काला अध्याय” बताया, वहीं उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उस दौर में मिले अनुभवों को एक नई पुस्तक ‘Emergency Diaries – Years that Forged a Leader’ के माध्यम से साझा किया है। इस पुस्तक को BlueKraft Digital Foundation ने प्रकाशित किया है, जिसका विमोचन बुधवार शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच X पर अपने एक पोस्ट में कहा, “जब आपातकाल लगाया गया, तब मैं एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए एक सीख देने वाला अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के महत्व को और भी गहराई से समझने में मेरी मदद की। उस दौर में मुझे विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे खुशी है कि BlueKraft Digital Foundation ने उन अनुभवों को संकलित कर ‘Emergency Diaries’ के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसका प्रस्तावना मेरे वरिष्ठ और आपातकाल विरोधी आंदोलन के सशक्त नेता श्री एच. डी. देवगौड़ा जी ने लिखी है।”
इस पुस्तक में नरेंद्र मोदी के युवावस्था में आपातकाल के विरुद्ध भूमिका को पहली बार विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। BlueKraft की ओर से जारी विवरण के अनुसार, यह किताब उनके सहयोगियों के व्यक्तिगत अनुभवों, दुर्लभ अभिलेखीय दस्तावेज़ों और घटनाओं पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह एक युवा प्रचारक ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए सब कुछ दांव पर लगाया। यह पुस्तक आपातकाल की यातनाओं, संघर्ष और उस कालखंड में जन्मे लोकतंत्र प्रेमियों की जीवंत तस्वीर पेश करती है।
When the Emergency was imposed, I was a young RSS Pracharak. The anti-Emergency movement was a learning experience for me. It reaffirmed the vitality of preserving our democratic framework. At the same time, I got to learn so much from people across the political spectrum. I am… https://t.co/nLY4Vb30Pu
— Narendra Modi (@narendramodi) June 25, 2025
पुस्तक के बारे में BlueKraft ने लिखा, “‘Emergency Diaries’ एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ की तरह है जो दर्शाता है कि किस तरह नरेंद्र मोदी ने लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा के लिए संघर्ष किया और जीवन भर उसे आगे बढ़ाया। यह पुस्तक उन लोगों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने तानाशाही के सामने झुकने से इनकार किया और अपनी आवाज़ को दबने नहीं दिया।”
पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा द्वारा लिखी गई प्रस्तावना इस पुस्तक को और अधिक ऐतिहासिक महत्व प्रदान करती है। देवगौड़ा स्वयं भी आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष का अहम चेहरा रहे हैं। पुस्तक का लोकार्पण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों होना इस बात को रेखांकित करता है कि भारतीय लोकतंत्र के इस दौर को नई पीढ़ी तक पहुंचाना कितना महत्वपूर्ण है।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक अन्य पोस्ट में आपातकाल के दौरान की गई संवैधानिक कुचली पर विस्तार से लिखा था कि कैसे मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता खत्म की गई और हजारों नागरिकों को जेल में डाला गया। उन्होंने 42वें संविधान संशोधन को न्यायपालिका पर नियंत्रण की कोशिश बताया और कहा था कि गरीबों और वंचितों को खासतौर से निशाना बनाया गया।
प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों को नमन किया जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि हम संविधान के सिद्धांतों को और मजबूत करने तथा विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम करने के संकल्प को दोहराते हैं।
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