संसद ने गुरुवार (18 दिसंबर) को विकसित भारत गारंटी फॉर एम्प्लॉयमेंट एंड लाइवलीहुड मिशन (ग्रामीण) विधेयक, जिसे जी-राम-जी (G RAM G) कहा जा रहा है, पारित कर दिया। यह विधेयक दो दशक पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की जगह लेगा और हर साल ग्रामीण क्षेत्रों में 125 दिनों के मजदूरी रोजगार का प्रावधान करेगा। विधेयक के पारित होने के दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में विपक्ष ने तीखा विरोध दर्ज कराया।
राज्यसभा में आधी रात के बाद हुई बहस के पश्चात विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया। इससे कुछ घंटे पहले लोकसभा ने भी इसे मंजूरी दी थी। विपक्षी दलों ने एमजीएनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार योजना का वित्तीय बोझ राज्यों पर डाल रही है। राज्यसभा में विरोध कर रहे सदस्यों ने विधेयक वापस लेने की मांग की, सरकार विरोधी नारे लगाए और विधेयक की प्रतियां फाड़ीं। कई सांसदों ने सदन से वॉकआउट भी किया, जिस पर सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने उन्हें चेतावनी दी।
विधेयक के पारित होने के बाद विपक्षी दलों ने संसद परिसर के संविधान सदन के बाहर धरना दिया और आरोप लगाया कि यह कानून ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है। विपक्ष ने इसे स्थायी समिति को भेजने की भी मांग की। तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संविधान सदन की सीढ़ियों पर 12 घंटे के विरोध प्रदर्शन का फैसला किया, वहीं विपक्ष ने देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की।
राज्यसभा में करीब पांच घंटे की बहस का जवाब देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक का बचाव किया। उन्होंने कहा, “यह विधेयक बहुत जरूरी है, क्योंकि यह रोजगार के अवसर पैदा करेगा, ग्रामीण भारत के विकास में मदद करेगा और देश को आगे ले जाएगा।” चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नाम का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है और उनके आदर्शों को बार-बार ठेस पहुंचाई है।
उन्होंने आगे कहा, “मैंने इतने घंटों तक विपक्ष की बात धैर्य से सुनी और उनसे मेरी बात सुनने की उम्मीद थी। आरोप लगाकर भाग जाना महात्मा गांधी के सपनों और आदर्शों की हत्या करने जैसा है।” मंत्री ने दावा किया कि यूपीए शासनकाल में एमजीएनरेगा में भ्रष्टाचार था और स्वीकृत कार्यों के लिए सामग्री पर पर्याप्त खर्च नहीं हुआ।
चौहान ने यह भी कहा कि ग्रामीण रोजगार योजना 2005 में शुरू हुई थी और 2009 में कांग्रेस ने चुनावी लाभ के लिए इसमें महात्मा गांधी का नाम जोड़ा। “वे महात्मा गांधी के नाम का राजनीति के लिए इस्तेमाल करते हैं। अगर किसी ने गांधी के आदर्शों की हत्या की है, तो वह कांग्रेस है,” उन्होंने आपातकाल, कथित घोटालों और संसद में व्यवधानों का हवाला देते हुए कहा।
लोकसभा में आठ घंटे की बहस के दौरान भी विपक्षी सांसदों ने कागज फाड़े और नारेबाजी की। जवाब में मंत्री ने कहा कि यह कानून व्यापक विचार-विमर्श के बाद लाया गया है और जल संरक्षण, बुनियादी ग्रामीण व आजीविका ढांचे तथा चरम मौसम घटनाओं से निपटने के लिए विशेष परियोजनाओं पर 10–11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखता है।
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