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ग्रेटर नोएडा: दलित किशोर की मौत पर कांग्रेस, सपा और भीम आर्मी ने फैलाया झूठ !

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ग्रेटर नोएडा में 17 वर्षीय दलित किशोर अनीकेत की मौत के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और भीम आर्मी ने इसे “दलित बनाम सवर्ण” हिंसा बताकर सोशल मीडिया पर घटिया राजनीतिक नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस जांच और एफआईआर के अनुसार, सभी आरोपी मीणा समुदाय से हैं, जो अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) वर्ग में आते हैं, न कि किसी “सवर्ण” जाति से।

25 अक्टूबर को कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने एक्स (X) पर लिखा कि “हर एक-दो हफ़्ते में हमें भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में दलितों की हत्या की ख़बरें देखने को मिलती हैं। नरेंद्र मोदी और उनकी डबल इंजन वाली सरकारें दलितों की जान बचाने में पूरी तरह नाकाम रही हैं।”

सपा के मीडिया सेल ने भी पोस्ट करते हुए दावा किया कि ‘ठाकुर समुदाय’ के लड़कों ने दलित अनीकेत पर हमला किया। पोस्ट में साझा किए गए समाचार के स्क्रीनशॉट में हालांकि “ठाकुर” शब्द कहीं नहीं था।

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने भी अपने पोस्ट में “जाटांकवादी” शब्द का इस्तेमाल कर वर्गीय तनाव को हवा दी।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक यह घटना 15 अक्टूबर की रात की है। एफआईआर 17 अक्टूबर को अनीकेत के चाचा मोमचंद की शिकायत पर दर्ज की गई। मामले में यमुना एक्सप्रेसवे थाना पुलिस ने 7 नामजद और 10-12 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

शिकायत में आरोप लगाया गया कि युवराज, जीतु, रचित, भरत, अंकित, पवन और सुनीत सहित कई लोग लाठियों और लोहे की रॉड लेकर पहुंचे और जातिसूचक गालियां देते हुए अनीकेत और उसके साथियों पर हमला कर दिया। अनीकेत के सिर पर गंभीर चोटें आईं और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 24 अक्टूबर को उसने दम तोड़ दिया। पुलिस जांच में सामने आया कि सभी आरोपी मीणा समुदाय के हैं, जो अनुसूचित जनजाति वर्ग में आता है। यानी “सवर्ण” का जो राजनीतिक नैरेटिव बनाया गया, वह पूरी तरह झूठा था।

पुलिस ने 19 अक्टूबर को दो आरोपियों युवराज मीणा और जीतु मीणा को गिरफ्तार कर जेल भेजा। 24 अक्टूबर को दो और आरोपी, रचित और अंकित, को भी गिरफ्तार किया गया। बाकी आरोपियों की तलाश जारी है। एसीपी सार्थक सेंगर ने बताया कि मृतक और आरोपी पहले भी आपस में झगड़ चुके थे और यह कोई नया विवाद नहीं था।

भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह ने मृतक परिवार से मुलाकात कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घटना की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने फोन पर परिवार से बात की और न्याय का आश्वासन दिया। वहीं, बसपा और सपा के स्थानीय नेताओं ने भी परिजनों से मुलाकात की।

जहां विपक्षी दलों ने इस घटना को दलित बनाम सवर्ण हिंसा के रूप में प्रचारित किया, वहीं पुलिस दस्तावेज़ और जांच बताते हैं कि आरोपी अनुसूचित जनजाति से हैं। इस तर।ह का राजनीतिक भ्रम न केवल सामाजिक तनाव बढ़ाता है बल्कि वास्तविक न्याय प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। ग्रेटर नोएडा की इस घटना में सच्चाई यह है।

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