Haryana Election: पंजाबी और वैश्य मतदाता पर टिकी सबकी नजर, भाजपा की इस सीट पर जीत पक्की!

आम आदमी पार्टी और जजपा ने बनिया प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, लेकिन मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है।

Haryana Election: पंजाबी और वैश्य मतदाता पर टिकी सबकी नजर, भाजपा की इस सीट पर जीत पक्की!

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हरियाणा की पंचकूला विधानसभा सीट पर इन दिनों सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए साख बना हुआ है| वैसे भी इसे राज्य की मिनी राजधानी के रूप जाना जाता है| यहां पर चुनावी मैदान में खड़ी सभी पार्टी और उनके उम्मीदवार की जीत और हार यहां की जाति मतदाताओं के रुख पर निर्भर करती है। वहीं पिछले महीने हुए लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त के बाद भारतीय जनता पार्टी इस सीट को अपनी पक्की मान रही है।

बता दें कि पंचकूला में कुल 2,36,193 वोटर हैं। इनमें 1,24,181 पुरुष और 1,12,004 महिलाएं हैं। सबसे ज्यादा करीब 44 हजार पंजाबी हैं। 40 हजार बनिया, 32 हजार एससी वोटर हैं। अन्य जातियों की बात करें तो करीब 21 हजार ब्राह्मण, 8-8 हजार गुर्जर व राजपूत, 7 हजार के करीब सैनी और करीब 10 हजार जाट वोटर हैं।

हरियाणा की दूसरी राजधानी कहे जाने वाले पंचकूला विधानसभा में सियासी पारा चढ़ता- उतरता दिखाई दे रहा है। जिसके चलते विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के बीच कड़ा व रोचक मुकाबला होता दिखाई दे रहा है। एक ओर लोकसभा चुनाव में पंचकूला में मिली बढ़त के बाद भाजपा इस सीट जीत को लेकर काफी आश्वस्त दिखाई दे रही है। वहीं, कांग्रेस जनता के विश्वास के साथ चुनावी लहरों पर इस सीट पर कब्जा करना चाहती है, जबकि आम आदमी पार्टी और जजपा ने बनिया प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, लेकिन मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है।

गौरतलब है कि 2009 में परिसीमन के बाद बने पंचकूला हलके में 2014 और 2019 में भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता जीते। दूसरी ओर चंद्रमोहन को पंचकूला में अपनी पहली जीत की तलाश है। हालांकि वे पंचकूला से सटे कालका से चार बार विधायक बन चुके हैं, जबकि गुप्ता दस साल में कराए गए काम के नाम पर वोट मांग रहे हैं, जबकि चंद्रमोहन का दावा करते दिखाई दे रहे है।

गौरतलब है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन का पंचकूला और कालका विधानसभा क्षेत्र में दबदबा है। शुरू से ही कॉलोनियों और ग्रामीण क्षेत्रों का वोट बैंक उनकी ताकत रहा है, लेकिन टिकट नहीं मिलने के चलते कांग्रेस के कई बड़े चेहरे उनसे नाराज होकर बैठ गए हैं। युवा कांग्रेस भी उनके लिए काम नहीं कर रही। वह 2009 के बाद कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं। इसलिए वापसी करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

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