महबूबा मुफ्ती के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “महबूबा मुफ्ती कुछ भी कह सकती हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति के लिए वही जिम्मेदार हैं। जब वह मुख्यमंत्री थीं, तब राज्य का विनाश हुआ। अगर जम्मू-कश्मीर का विभाजन हुआ या इसका दर्जा बदला, तो इसके लिए उन्हीं को दोषी ठहराया जाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “यही वही ‘महबूबा जी’ हैं, जिन्होंने बच्चों पर हो रहे अत्याचारों पर सवाल उठाए जाने पर कहा था कि उन्हें केवल दूध और टॉफी चाहिए।अब, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर को बर्बाद किया, वे हमें उपदेश देने की कोशिश कर रहे हैं? हमें उनकी सलाह की जरूरत नहीं है।”
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि पीडीपी का अपना रुख है और कांग्रेस का अपना। उन्होंने स्पष्ट किया, “वे जो चाहें कहने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन हम न तो इसका समर्थन करते हैं और न ही इसका विरोध करते हैं। लोकतंत्र में हर पार्टी को अपनी मर्जी से काम करने का अधिकार है।”
पीडीपी विधायक वहीद पारा ने बजट को लेकर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “बजट में एक लाख नौकरियों के वादे, नौकरी की गारंटी अधिनियम, आरक्षण में सुधार और जेल में बंद युवाओं की स्थिति जैसे अहम मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार उन समस्याओं को अनदेखा कर रही है, जो सीधे समाज के सबसे कमजोर वर्गों को प्रभावित कर रही हैं।”
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