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Saturday, July 27, 2024
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NCP विधायकों द्वारा ‘उस’ पत्र के बारे में जितेंद्र आव्हाड का खुलासा; कहा.. “अजित पवार का आतंक…”

अब जितेंद्र ​आव्हाड​ ने कहा है कि शरद पवार को अकेला छोड़कर ​भाजपा​ के साथ जाने का फैसला किया गया है​|​ उन्होंने यह भी कहा है कि मैं उस वक्त अजित पवार के आतंक का शिकार हुआ था​|​

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2 जुलाई 2023 को एनसीपी पार्टी में विभाजन हो गया|उस वक्त अजित पवार गुट की ओर से एक आरोप लगाया गया था|इसमें अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि जब एकनाथ शिंदे ने बगावत की थी तो एनसीपी विधायक भाजपा के साथ जाने को तैयार हो गए थे|विधायक के हस्ताक्षर का एक पत्र तैयार किया गया है|वह पत्र कैसे तैयार हुआ? उस समय वास्तव में क्या हुआ था?अब जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि शरद पवार को अकेला छोड़कर भाजपाके साथ जाने का फैसला किया गया है|उन्होंने यह भी कहा है कि मैं उस वक्त अजित पवार के आतंक का शिकार हुआ था|
 
​अजित पवार की सख्ती और आतंक का शिकार बने एकनाथ शिंदे के फूट की खबर| हममें से कुछ लोग पहले से ही बेचैन थे, कह रहे थे कि हम सत्ता में जाना चाहते हैं। दो-चार लोग तो ऐसे थे जो रोज शरद पवार के पास जाते थे और कहते थे कि हम भाजपा के साथ जाएंगे| एक समय ऐसा आया जब कुछ लोग कहने लगे कि शरद पवार को अकेले रहने दीजिए हम भाजपा के साथ चले जाएंगे|तब उन्होंने कहा था कि हम पत्र लिखेंगे और शरद पवार को दिखाएंगे| उस समय कुछ भ्रमित लोगों ने कहा कि जितेंद्र से पूछो, तब मैंने कहा कि हां, अगर शरद पवार मुझे उस फैसले को स्वीकार करने के लिए कहें तो मैं हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हूं। उस समय मैं अजित पवार द्वारा पैदा की गई फूट और आतंक का शिकार हो गया| आव्हाड ने कहा|
​उन्होंने कहा, ”उस समय अजित पवार को ना कहना मेरे लिए संभव नहीं था। लेकिन आज हम महाराष्ट्र को बताना चाहते हैं कि जयंत पाटिल उस पत्र को अपनी जेब में रखकर घर ले गए, उन्होंने अपने जीवन में कभी भी शरद पवार को वह पत्र नहीं दिया। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं शरद पवार के अकेले छोड़कर भाजपा के साथ जाने से सहमत नहीं हूं| साथ ही, जब उन्होंने कहा कि वे पत्र नहीं दे रहे हैं तो मैंने उनसे कहा कि सबसे पहले तो इसमें से मेरा नाम हटा दें| उस समय एक और आदमी था जिसका नाम प्राजक्त तनपुरे था। उन्होंने मुझसे ये भी कहा कि ये काफी नहीं होगा| मैंने उनसे कहा कि आपको जाना चाहिए| तब भी ऐसे लोग थे जो भाजपा के साथ नहीं जाना चाहते थे| उस समय, मैंने भी उन विचारों के साथ समझौता नहीं करने का फैसला किया।” यह बात जीतेंद्र आव्हाड ने भी कही|
मैं शरद पवार के साथ धोखा नहीं कर सकता: मैं शरद पवार के साथ धोखा नहीं कर सकता, वह आदमी जिसने मुझे उंगली पकड़कर चलना सिखाया। अजित पवार का अलग होकर बाहर जाना विश्वासघात है|यह शरद पवार के साथ विश्वासघात है|छगन भुजबल को छोड़कर, क्या कोई स्वयम, स्व-निर्मित व्यक्ति है? इन सभी को शरद पवार ने खड़ा किया. जितेंद्र आव्हाडने यह टिप्पणी अमोल कोल्हे​  के पॉडकास्ट टू द पॉइंट में की है।
मैं अजित पवार से चार हाथ दूर रहता था: ऐसी छवि बनाई गई कि शरद पवार को महाराष्ट्र में उनके घर से ही चुनौती दी जा सकती है। अगर उन्होंने (अजित पवार) 2019 में बगावत की तो फिर वापस क्यों आये? जीतेंद्र अवाद ने यह भी कहा है कि उन्हें उपमुख्यमंत्री पद देना गलती थी|​ मैं अजित पवार से चार हाथ दूर रहता था|क्योंकि चार तिमाहियों में अपमान से क्या होगा? पांचवें मिनट में वो अपमान पूरे महाराष्ट्र तक पहुंच जाएगा|उससे तो चार हाथ अधिक देर तक रहना अच्छा है। मेरा और उनका परिचय 1989 से है। लेकिन 2022 तक मैंने उनसे ज्यादा बात नहीं की क्योंकि मैं उनसे थोड़ा डरता था, ऐसा जितेंद्र आव्हाड ने कहा।
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