कश्मीर में राजनीतिक माहौल तेज़ी से बदलता दिखाई दे रहा है| पाकिस्तान की ओर से हर साल मनाया जाने वाला कश्मीर सॉलिडेरिटी डे इस बार रजनीतिक हथकड़ियों में जकड गया है| कश्मीर की आवाम के बदलते सियासी मौसम को समझकर पाकिस्तान से हटकर भारतीय हित में सोचना शुरू कर दिया है|
बता दें कि इसका सबूत हैं कश्मीर की राजनीतिक एक्टिविस्ट तस्लीमा अख़्तर जिन्होंने हाल ही में अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा कि पाकिस्तान सिर्फ कश्मीरियों के साथ सहानुभूति का ढोंग करता है और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकता है|
एक ऐसा देश जो कश्मीर के उग्रवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देता है और कश्मीर में हिंसा फ़ैलाने और लोकतान्त्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों को कमज़ोर करने की कोशिश करता है, मासूम बच्चों, औरतों पर ज़ुल्म करता है, ऐसा देश कभी भी किसी से सहानुभूति नहीं रख सकता|
पाकिस्तान पर तंज़ कसते हुए उन्होंने आगे कहा कि जिस देश की सीमा के भीतर ही उग्रवाद और आतंकवाद पनप रहा हो और वो खुद भुखमरी, बेरोज़गारी, आतंकवाद से ग्रसित हो, उन्हें दूसरों पर टिपण्णी नहीं करनी चाहिए|
लाज़्मी है कि पाकिस्तान की संवेदना कुछ और नहीं बल्कि क्रूर मज़ाक है कश्मीरी जनता पर जो पिछले कई दशकों से हिंसा और बंटवारे में फंसी हैं और अपनी कई पीढ़ियों को खो चुके हैं| कश्मीर के युवा और उन्हके भविष्य को लेकर सरकार की हमेशा कोशिश रहती है कि उन्हें अच्छी सुविधा प्रदान की जा सके जिससे राज्य का विकास हो सके|
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