वाराणसी में गुरुवार (11 सितंबर) को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम के बीच अहम द्विपक्षीय बैठक हुई। काशी की इस यात्रा को प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष और ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह भारत और मॉरीशस के बीच मज़बूत सांस्कृतिक रिश्तों का प्रतीक है। इस बैठक में 7 अहम् समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने परस्पर सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा की और क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल तकनीक, ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई।
Addressing the press meet with PM Dr. Navinchandra Ramgoolam of Mauritius.@Ramgoolam_Dr
https://t.co/UC4Ly08nDY— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2025
सात अहम समझौते और कई घोषणाएँ
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी घोषणा पत्र के अनुसार, दोनों देशों के बीच 7 समझौता ज्ञापनों (MoUs) और 3 अहम घोषणाओं पर हस्ताक्षर हुए। भारत और मॉरीशस के बीच हुए समझौतों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समुद्र विज्ञान और विद्युत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही हाइड्रोग्राफी समझौते का नवीनीकरण किया गया और कर्मयोगी भारत तथा मॉरीशस के लोक सेवा मंत्रालय के बीच प्रशासनिक सुधारों को लेकर एक नया समझौता हुआ।
दोनों देशों ने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के लिए टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और दूरसंचार स्टेशन की स्थापना पर सहमति जताई, जबकि लघु विकास परियोजनाओं के दूसरे चरण के कार्यान्वयन के लिए भारत की ओर से अनुदान सहायता प्रदान करने पर भी सहमति बनी।
इसके अलावा, IIT मद्रास और मॉरीशस विश्वविद्यालय के बीच, तथा भारतीय प्लांटेशन प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु और मॉरीशस विश्वविद्यालय के बीच शैक्षिक सहयोग के समझौते भी हुए। साथ ही टैमरिंड फॉल्स में 17.5 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया।
“नेबरहुड फर्स्ट” नीति का अभिन्न अंग है मॉरीशस
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मॉरीशस, भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रतिबद्धता का एक अहम हिस्सा है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को लेकर भी केंद्रीय बैंकों के बीच चर्चा जारी है।
मिस्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से विदेश नीति को दिल्ली से बाहर ले जाने पर ज़ोर देते रहे हैं। यही कारण है कि वाराणसी जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर में इस द्विपक्षीय बैठक का आयोजन किया गया। काशी की इस ऐतिहासिक मेजबानी ने भारत और मॉरीशस के संबंधों को न केवल कूटनीतिक बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी नई मजबूती प्रदान की है।
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