लोकसभा चुनाव से पहले देश में 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं| भाजपा ने 56 सीटों के लिए 28 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है| इनमें से 24 चेहरे नये हैं| दिलचस्प बात यह है कि राज्यसभा से मोदी सरकार में मंत्री बने कई नेताओं को इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया गया है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दिया है कि पिछले दरवाजे से आने वालों के लिए कैबिनेट के दरवाजे बंद रहेंगे|
भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए 28 उम्मीदवारों की घोषणा की| इनमें से 24 नए चेहरे हैं| इस प्रकार वर्तमान सांसद केवल 4 हैं। इन चार सांसदों में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, मंत्री एल. मुरुगन और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी शामिल थे। इन चारों के अलावा जो भी सांसद राज्यसभा के सदस्य हैं, उनके टिकट काट दिए गए हैं| इसमें कई वरिष्ठ मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं|
राज्यसभा की उम्मीदवारी से वंचित इन नेताओं को अब जनता के बीच जाकर मोदी सरकार के कामों की सूची देनी होगी| उन्हें जनता के बीच से चुना जाना है| अन्यथा उनका राजनीतिक भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है| केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का राज्यसभा में कार्यकाल खत्म नहीं हुआ है| हालाँकि, उन्हें चेन्नई से नामांकित करने की तैयारी चल रही है। खबर है कि भाजपा इस सिलसिले में एडीएमके से बातचीत कर रही है|
एनडीए सांसदों की बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि ‘हर राज्यसभा सांसद को कम से कम एक लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए ताकि उन्हें चुनाव का अनुभव मिल सके| पार्टी के भीतर यह संदेश भी दिया गया है कि राज्यसभा सांसद अपनी पसंदीदा लोकसभा सीट चुन सकते हैं|
नकवी की गलती, सांसद लें सबक: उत्तर प्रदेश में रामपुर सीट पर उपचुनाव में भाजपा ने तत्कालीन राज्यसभा सांसद और अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को मैदान में उतारने का प्रस्ताव रखा| लेकिन, नकवी ने हार के डर से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया| इस सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की| लेकिन नकवी को इसका बड़ा झटका लगा| नकवी का उम्मीदवारी खारिज करना पार्टी आलाकमान को पसंद नहीं आया| इसीलिए उन्हें फिर से राज्यसभा का मौका नहीं दिया गया। यह अन्य उम्मीदवारों के लिए एक सबक है|
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