पहुलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो सख्त कदम उठाए, उनमें सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था। इस फैसले के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत को धमकियां देना शुरू किया, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कार्रवाई देखकर वह नरम पड़ गया।
अब, भारत के साथ युद्ध में हार झेलने के बाद पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत से पुनर्विचार की अपील की है। इस पर भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “तू ही है अपनी बरबादी का शिल्पकार। भारत की सटीक रणनीति से पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है और अब गुहार लगा रहा है। आतंकवादियों को सौंपना और पीओके खाली करना ही उसके पास एकमात्र रास्ता बचा है।”
14 मई को पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर सिंधु जल संधि पूरी तरह से बंद हुई तो पाकिस्तान में गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने भी स्पष्ट किया है कि भारत सिंधु नदी का एक-एक बूंद पानी रोकने के लिए अल्पकालीन, मध्यकालीन और दीर्घकालीन योजनाएं बना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का भी स्पष्ट संदेश है “दहशतवाद और बातचीत, व्यापार और आतंक साथ नहीं चल सकते। पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”
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