इस बैठक के कारण रक्षा मंत्रालय की निर्धारित मीडिया ब्रीफिंग को फिलहाल टाल दिया गया है, जिसे अब बैठक के बाद आयोजित किया जाएगा। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत और पाकिस्तान के बीच एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा के बाद सीमावर्ती इलाकों में अस्थायी शांति लौटी है।
सुरक्षा हालात के साथ-साथ राजनीतिक मोर्चे पर भी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस सीजफायर को लेकर पारदर्शिता की मांग की है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाने और संसद का विशेष सत्र आयोजित करने की मांग की। रमेश ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’, पहलगाम की घटनाओं और सीजफायर समझौते की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह ऐलान पहले वाशिंगटन डीसी में हुआ, तो क्या अब भारत ने शिमला समझौते से मुंह मोड़ लिया है?
उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो के उस बयान पर भी चिंता जताई जिसमें उन्होंने भारत-पाक वार्ता के लिए किसी “न्यूट्रल साइट” की बात कही थी। रमेश ने इसे भारत की पारंपरिक द्विपक्षीय नीति के खिलाफ बताया और 1971 युद्ध के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की निर्णायक भूमिका को याद करते हुए वर्तमान सरकार से स्पष्टता की मांग की।
जमीन पर हालात कुछ राहत भरे हैं। जम्मू-कश्मीर के उरी और पुंछ सेक्टर में गोलाबारी के शिकार लोग धीरे-धीरे अपने घरों को लौटने लगे हैं। स्थानीय बाजार खुल गए हैं और लोगों में आशा की एक झलक नजर आ रही है कि यह शांति कायम रहे।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, रात भर नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर कोई भी ड्रोन गतिविधि या गोलीबारी नहीं हुई। फिरोजपुर, पठानकोट, पुंछ, अखनूर, राजौरी और उरी से सुबह की रिपोर्ट्स में स्थिति शांत बताई गई है।
हालांकि पंजाब के सीमावर्ती जिलों में प्रशासन ने अब भी रेड अलर्ट बरकरार रखा है। निगरानी बढ़ा दी गई है और स्थानीय प्रशासन सुरक्षा बलों के साथ मिलकर स्थिति पर नजर बनाए हुए है। सुरक्षा एजेंसियों ने यह स्पष्ट किया है कि सीजफायर भले ही हो गया हो, लेकिन भारत की तैयारी में कोई ढील नहीं दी जाएगी।
सीजफायर की इस नाजुक शुरुआत को लेकर जहां एक ओर उम्मीदें हैं, वहीं सवाल और सतर्क निगाहें भी हैं। अगला कदम क्या होगा, इसका संकेत शायद पीएम मोदी की इस बैठक के बाद सामने आए रक्षा मंत्रालय के बयान से मिलेगा।