नगर क्षेत्रों में शामिल ग्राम पंचायतें बनीं चुनौती: पंचायत चुनाव 2021 के बाद कई जिलों में नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगमों का सृजन एवं सीमा विस्तार किया गया। इससे कई ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल हो गईं, जिनकी जनसंख्या अब 1000 से कम रह गई है। उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, 1000 से अधिक आबादी वाले गांव या गांवों के समूह को ही पंचायत क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
आंशिक पुनर्गठन के निर्देश शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि: शहरी क्षेत्र में शामिल ग्राम पंचायतों को हटाना जरूरी है। बचे हुए राजस्व ग्रामों को निकटवर्ती ग्राम पंचायतों में शामिल किया जाए। पहले जारी ग्राम पंचायतों की अधिसूचना को संशोधित किया जाए।
यदि कोई ग्राम पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित है लेकिन उसकी जनसंख्या 1000 या अधिक बनी हुई है, तो वह ज्यों की त्यों बनी रह सकती है। जिलों में पुनर्गठन के लिए कमेटी गठित शासन ने सभी जिलों में चार सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे।
नगरीय निकायों के सृजन पर अस्थायी रोक: चुनावों में बाधा से बचने के लिए शासन ने नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगम के सृजन एवं सीमा विस्तार पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। प्रमुख सचिव, पंचायती राज अनिल कुमार ने इस संबंध में नगर विकास विभाग को पत्र भेजा है। पंचायत चुनाव की संभावित तिथि और प्रक्रिया| पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2026 में कराए जाएंगे।
क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल: 19 जुलाई 2026 तक
जिला पंचायतों का कार्यकाल: 11 जुलाई 2026 तक
मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कराने में लगभग छह महीने का समय लगेगा।
आरक्षण प्रक्रिया और जनसंख्या आंकड़े भी होंगे अद्यतन: ग्राम पंचायतों के परिसीमन, वार्ड निर्धारण, पिछड़ी जातियों की जनसंख्या, और श्रेणी वार जनसंख्या आंकड़ों के अद्यतन के बाद आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
यह भी पढ़ें-



