-प्रशांत कारुळकर
आशीष कुमार चौहान ने अपने जीवन में कई बड़ी चुनौतियों का सफलता से सामना किया है। पिछले दस वर्षों से मैं उन्हें क़रीब से देख रहा हूँ। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो काम दुनिया के लिए कठिन या उलझे हुए होते हैं, वे उनके हाथों में सहज और सरल हो जाते हैं। उनसे बातचीत करते समय यह हमेशा महसूस हुआ कि हर समस्या का उनके पास हल होता है।
रामायण के कुछ प्रसंग जैसे कि माता सीता का शिव धनुष से खेलना, यह दिखाते हैं कि कुछ असंभव कार्य भी केवल भगवान या विशेष प्रतिभा वाले लोग ही कर सकते हैं। आशीष के पास यही ‘गॉड गिफ्ट’ है। 24 वर्ष की उम्र में इंजीनियरिंग और एमबीए पूरी करने के बाद उन्होंने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की कोर टीम में काम शुरू किया। 1992 से 2000 तक वे इस टीम का हिस्सा रहे। उनका कहना है, “मैं गुजराती हूँ और इंजीनियर भी, इसलिए मुझे बाजार और तकनीक दोनों की समझ है।”
2000 से 2009 के बीच उन्होंने रिलायंस समूह में प्रमुख पदों पर कार्य किया और मुंबई इंडियंस की स्थापना में भी योगदान दिया। वे एक कुशल टास्क मास्टर हैं – कोई भी कार्य उन्हें सौंपा जाए, वे उसे सफलता तक पहुंचाते हैं। इसी कारण वे मुकेश अंबानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे प्रभावशाली लोगों के विश्वासपात्र बने।
2009 में उन्होंने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का रुख किया, जहाँ वे उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने और 2012 में CEO की जिम्मेदारी संभाली। उनके नेतृत्व में BSE में तकनीकी क्रांति आई। ट्रेडिंग अब स्क्रीन पर और मोबाइल से केवल 6 सेकंड में संभव हो गई। उन्होंने BSE का IPO भी सफलतापूर्वक लाया और डेरिवेटिव मार्केट की नींव रखी।
2012 से 2022 तक उन्होंने BSE को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया और फिर 2022 में उन्हें NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) का नेतृत्व सौंपा गया। उस समय NSE कई विवादों और तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा था। आशीषजी ने इन समस्याओं को सुलझाया और IPO प्रक्रिया को फिर से सुचारू बनाया।
गिफ्ट निफ्टी: एक बड़ा बदलाव
‘गिफ्ट निफ्टी’ भारतीय शेयर बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बनी। पहले विदेशी निवेशक SGX निफ्टी (सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज) पर ट्रेड करते थे। प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा थी कि यह व्यापार भारत में हो, जिसके तहत ‘गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी’ यानी GIFT City की स्थापना हुई।
3 जुलाई 2023 को NSE ने ‘गिफ्ट निफ्टी’ की शुरुआत की। इसका परिणाम यह हुआ कि विदेशी निवेश भारत में आने लगे, देश को टैक्स मिला और भारत को इस व्यापार पर नियंत्रण प्राप्त हुआ। डॉलर में 21 घंटे ट्रेडिंग की सुविधा भी उपलब्ध हुई। आशीष के अनुसार यह भारत के लिए एक टर्निंग पॉइंट था।
उन्होंने NSE को तकनीकी रूप से सशक्त, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाया। इससे निवेशकों का विश्वास लौट आया, बाजार की गति बढ़ी और आम लोगों की भागीदारी में भी वृद्धि हुई। IPO की संख्या भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई।
वे कहते हैं कि वे हमेशा थोड़े नर्वस रहते हैं, जिससे वे सतर्क रहते हैं। यह उनका एक विशेष गुण है। संभवतः एक दिन जब उनके निर्धारित लक्ष्य पूरे हो जाएँगे, वे फिर से कोई नया, चुनौतीपूर्ण मिशन संभालेंगे और एक नई दिशा में यात्रा शुरू करेंगे।
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