पंजाब सरकार स्वास्थ्य निधि का पूरा उपयोग करने में विफल: कैग रिपोर्ट में खुलासा

कैग ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का जिम्मेदारीपूर्ण प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए परिकल्पित नियामक तंत्र प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रहा है।

पंजाब सरकार स्वास्थ्य निधि का पूरा उपयोग करने में विफल: कैग रिपोर्ट में खुलासा

Punjab government fails to fully utilise health funds: CAG report reveals

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की नवीनतम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पंजाब सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटित बजट का पूरा उपयोग करने में विफल रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 के दौरान सरकार ने अपने कुल व्यय का केवल 3.11 प्रतिशत और जीएसडीपी का 0.68 प्रतिशत ही स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया, जो निर्धारित लक्ष्यों से काफी कम है।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि विभिन्न योजनाओं के तहत आवंटित धनराशि का पूरा उपयोग नहीं किया गया। उदाहरण के लिए, मार्च 2022 तक पंजाब निरोगी योजना के तहत पंजाब निरोगी सोसायटी के पास 4.92 करोड़ रुपये और मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर राहत कोष योजना के तहत 76.81 करोड़ रुपये अप्रयुक्त पड़े थे।

इसके अलावा, राजिंदरा अस्पताल, पटियाला द्वारा 2021-22 तक एकत्र किए गए 1.94 करोड़ रुपये के उपयोगकर्ता शुल्क और पंजाब स्वास्थ्य प्रणाली निगम को हस्तांतरित 85.70 करोड़ रुपये की रियायती शुल्क राशि भी सरकारी खाते के बाहर पड़ी हुई थी, जो कोडल प्रावधानों का उल्लंघन है।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, परिवार कल्याण, कायाकल्प और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं का कार्यान्वयन निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप नहीं था। परिवार कल्याण योजना और जननी सुरक्षा योजना के तहत वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन का भुगतान न किए जाने के मामले भी सामने आए हैं।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मोबाइल स्वास्थ्य टीमें अपर्याप्त कर्मचारियों के साथ काम कर रही थीं, जिससे बच्चों की जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, मोबाइल स्वास्थ्य टीमों के पास आवश्यक दवाएं, ड्रॉप्स और मलहम उपलब्ध नहीं थे, जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए गए थे। कैग ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का जिम्मेदारीपूर्ण प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए परिकल्पित नियामक तंत्र प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रहा है।

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आम आदमी पार्टी (AAP) की पंजाब सरकार की नाकामी कोई नई नहीं है। दिल्ली में भी अरविंद केजरीवाल की सरकार स्वास्थ्य बजट के बड़े हिस्से को खर्च नहीं कर पाई थी, और अब वही हाल पंजाब में भी दिख रहा है। बड़े-बड़े वादे करने वाली AAP सरकार का प्रशासनिक ढांचा कमजोर साबित होता रहा है। कैग रिपोर्ट से साफ है कि फंड आवंटन के बावजूद स्वास्थ्य योजनाएं अधूरी रह रही हैं, जिससे जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा है। आम आदमी पार्टी सत्ता में आने से पहले स्वास्थ्य सुधार के बड़े दावे करती रही, लेकिन न तो दिल्ली में इन दावों को पूरा किया और न ही अब पंजाब में कोई सुधार दिख रहा है।

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