लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन बिल 2024 पेश किए जाने के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किए गए इस विधेयक पर कांग्रेस सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई और सरकार पर कानून को जबरन थोपने का आरोप लगाया।
विपक्षी नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार को इस विधेयक में संशोधन के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए था, लेकिन सरकार बिना चर्चा के इसे पारित कराना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष के सुझावों की अनदेखी कर रही है और संसदीय प्रक्रियाओं को दरकिनार कर रही है।
अमित शाह का विपक्ष पर पलटवार:
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद सदन में लाया गया है। उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा,
“यह आपका आग्रह था कि एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाई जाए। लेकिन हमारे पास कांग्रेस जैसी समिति नहीं है, जो सिर्फ ठप्पा लगाने का काम करती थी। हमारी समिति लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा करती है, मंथन करती है और आवश्यक परिवर्तन करने के बाद निर्णय लेती है।”
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह बिल पहले कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया, फिर जेपीसी में भेजा गया, जहां गहन चर्चा के बाद समिति ने अपनी सिफारिशें दीं। इसके बाद सरकार ने इन सिफारिशों को कैबिनेट से दोबारा मंजूरी दिलाई और अब इसे संशोधित रूप में पेश किया गया है।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, “इस तरह का विधेयक लाने से पहले विपक्ष को संशोधन का मौका दिया जाना चाहिए था। सरकार को अपनी मंशा स्पष्ट करनी चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को विधेयक की समीक्षा करने और सुझाव देने का अवसर नहीं दे रही है।
जेपीसी की भूमिका पर जोर
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर विधेयक कैबिनेट की मंजूरी के बिना पेश किया गया होता, तो विपक्ष को आपत्ति करने का अधिकार होता। लेकिन यह विधेयक सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं से गुजरकर ही लोकसभा में आया है। उन्होंने दोहराया कि सरकार की समितियां केवल औपचारिकता निभाने के लिए नहीं हैं, बल्कि वे गहन चर्चा और विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेती हैं।
लोकसभा में इस बिल को लेकर अभी और तीखी बहस होने की संभावना है। विपक्ष जहां सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है, वहीं सरकार का दावा है कि इस विधेयक से पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगी।
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