सुप्रीम कोर्ट ने वरवर राव को दी जमानत, बॉम्बे हाईकोर्ट की सरेंडर शर्त रद्द

वरवर राव जिस मामले में आरोपी हैं, उस मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है| सुप्रीम कोर्ट ने यह भी देखा है कि हालांकि आरोप पत्र अदालत में दायर किया गया है, आरोपों का अभी तक निर्धारण नहीं किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने वरवर राव को दी जमानत, बॉम्बे हाईकोर्ट की सरेंडर शर्त रद्द

accused in urban naxalism case

सुप्रीम कोर्ट ने शहरी नक्सलवाद मामले में आरोपी 84 वर्षीय वरवर राव को जमानत दे दी है। राव को अदालत ने चिकित्सकीय आधार पर जमानत दे दी है। नक्सलियों के साथ कथित संबंधों के आरोपों के बाद भीमा कोरेगांव मामले में वरवर राव को गिरफ्तार किया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट की तीन महीने बाद सरेंडर करने की शर्त को भी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है|

वरवर राव ने इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर चिकित्सकीय आधार पर स्थायी जमानत की मांग की थी। इस याचिका के खारिज होने के बाद राव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने वरवर राव को उनकी उम्र, खराब स्वास्थ्य और अब तक जेल में बिताए ढाई साल को देखते हुए उन्हें जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति यू.यू ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने राव को जमानत दे दी है।

वरवर राव जिस मामले में आरोपी हैं, उस मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है| सुप्रीम कोर्ट ने यह भी देखा है कि हालांकि आरोप पत्र अदालत में दायर किया गया है, आरोपों का अभी तक निर्धारण नहीं किया गया है।

गौरतलब है कि नक्सलवाद देश के विकास में सबसे बड़ा बाधक बनता दिखाई दे रहे है| इनके द्वारा समाज में नक्सल का जहर घोलकर सामाजिक को बांटने और देश में अराजकता का माहौल पैदा करना होता है| सरकार से पिछड़े व वंचित लोगों की आवाज उठाने की बजाय समाज में भेद और द्वेष फ़ैलाने का कार्य किया जाता है|
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