“राजनीति करने के लिए पैदा हुई है, पहले..”: “जिन विपक्षी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिन राजनीतिक नेताओं ने भाजपा का दामन थामा, उनमें आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई| इनमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, शुभेंदु अधिकारी, मुकुल रॉय, नारायण राणे शामिल हैं। यह समय महाराष्ट्र सहित देश में भाजपा की ‘भ्रष्टाचार वाशिंग मशीन’ के खिलाफ मजबूती से खड़े होने का है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल का भाषण इस समय ट्रेंड कर रहा है।’पेगासस’ को छोड़कर गांधी के फोन कॉल सुने जा रहे थे। यह सब राहुल गांधी ने कैंब्रिज में धमाका कर दिया था।भाजपा नेताओं ने देश की बदनामी पर ‘गुस्सा’ जताया|तो क्या हुआ अगर नरेंद्र मोदी अब तक विदेश जा रहे हैं और पंडित नेहरू से इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और उनकी सरकार पर जहर उगल रहे हैं तो यह देश का अपमान नहीं था?” ऐसा ही एक सवाल पिछले लेख में उठाया गया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त: भाजपा ने हाल तक स्वायत्त मानी जाने वाली कई सरकारी एजेंसियों का निजीकरण कर दिया है| यह खतरा अल कायदा यानी तालिबान से भी ज्यादा खतरनाक है। चुनाव आयोग भाजपा की ट्रे के नीचे बिल्ली बन गया है और सत्ता पक्ष के दरवाजे पर दुम हिलाता हुआ बैठा है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट को चुनाव आयोग को लेकर सख्त फैसला लेना पड़ा और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनानी पड़ी|
”इतने बड़े ‘कैश स्कैंडल’ के बावजूद ईडी-सीबीआई अंडरग्राउंड हैं” : ‘‘कर्नाटक के भाजपा विधायक मदल विरुपाक्षप्पा के घर से मिले 8 करोड़ रुपये के कैश|इतने बड़े ‘कैश स्कैंडल’ के बावजूद ईडी, सीबीआई अंडरग्राउंड हैं| मोदी भ्रष्टाचार मुक्त शासन के हिमायती हैं।सबसे भ्रष्ट शासन व्यवस्था उन्हीं की है। इसी विधायक मदल के चिरंजीव को लाखों की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था,लेकिन भाजपा इस बारे में बात करने को तैयार नहीं है|” ठाकरे गुट ने भी आरोप लगाया है|
अंग्रेजों के पहले भारत की 70 % आबादी शिक्षित थी – आरएसएस प्रमुख