मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के नोटिफिकेशन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दिया गया ‘लॉलीपॉप’ करार देते हुए आलोचकों को चुनौती दी कि क्या यह 2029 से पहले हो पाएगी।
खंडवा दौरे के दौरान संवाददाताओं से बात करते हुए सिंघार का दावा है की, “कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जगाई गई अलख के कारण ही सरकार को झुकना पड़ा और इस नोटिफिकेशन को जारी करना पड़ा।” उन्होंने यह भी पूछा कि क्या यह सिर्फ संवेदनाएं जगाने का हथकंडा है, या इसके पीछे सचमुच की नीति है।
सिंघार ने केंद्र से स्पष्ट जवाब की मांग की, क्या यह जनगणना 2029 से पहले पूरी हो पाएगी? क्या इसके साथ महिला आरक्षण को लागू किया जाएगा? क्या नए परिसीमन के आधार पर चुनाव होंगे? उनका कहना था कि केंद्र सरकार की कथनी और करनी में बड़े अंतर हैं, और यह नोटिफिकेशन बिहार में सियासी लाभ पाने की ‘चुनावी दवा’ मात्र है।
भाजपा–कांग्रेस में बयानबाजी तेज
जातिगत जनगणना की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। भाजपा इसे खुद की नीति के प्रति भरोसे का प्रतीक बता रही है, जबकि कांग्रेस इसे राहुल गांधी के देशव्यापी अभियान का परिणाम बता रही है। दोनों पार्टी इस पर प्रचार का हिस्सा बना रही हैं और अपने अपने प्रयासों को मुख्य साबित करने में जुटी हैं।
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जातिगत जनगणना को लेकर अब सियासी विमर्श नए मोड़ पर है। जहां भाजपा और कांग्रेस इसे अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए उपयोग करना चाहती हैं, वहीं विपक्ष इसे भ्रष्ट सियासत से ध्यान भटकाने का हथियार बता रहा है। आने वाले माह में इसका अवधि, कार्यान्वयन और संवैधानिक परिणाम तय करेंगे कि यह नोटिफिकेशन कितना मजबूत है, और वास्तविक परिवर्तन लाने में कितना कारगर।



