केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराने की बात कह चुकी है, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और सत्तारूढ़ एनडीए के घटक राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया है कि दक्षिण भारत के कुछ राजनीतिक दल जातिगत जनगणना को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि दक्षिण भारत के कुछ राज्यों के राजनीतिक दलों को लगता है कि यदि जनगणना की जाएगी, और इसके अनुसार संसद में प्रतिनिधित्व तय किया जाएगा, उनका नुकसान हो सकता है।
दक्षिणी भारत के राज्यों ने काफी अच्छा आर्थिक और शैक्षिक विकास किया है। जागरूकता के कारण उनकी जनसंख्या में काफी कम वृद्धि हुई। उनकी तुलना में उत्तर भारत के राज्य पिछड़ गए, लेकिन उनकी आबादी बढ़ती रही।
कुशवाहा ने आरोप लगाया है कि दक्षिण भारत के राज्यों को लगता है कि आबादी के बढ़ने में असंतुलन के कारण आबादी के अनुसार संसदीय प्रतिनिधित्व होने पर संसद में उनका प्रतिनिधित्व घट सकता है।
कुशवाहा ने कहा कि उनकी मांग है कि इस विरोध को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार को परिसीमन कराने की तरफ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिसीमन होने से सरकार बेहतर नीतिगत निर्णय लेते हुए उनके विकास का खाका तैयार कर सकती है और दलित-पिछड़ी जातियों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जहां तक दक्षिणी भारत के राज्यों का प्रतिनिधित्व न घटे, इस पर अलग से विचार किया जा सकता है लेकिन इसके कारण देश की पिछड़ी-दलित जातियों के विकास का मार्ग नहीं रोका जाना चाहिए।
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