28 C
Mumbai
Saturday, July 27, 2024
होमदेश दुनियाअब मथुरा में कृष्ण मंदिर का भव्य निर्माण होना चाहिए - भाजपा...

अब मथुरा में कृष्ण मंदिर का भव्य निर्माण होना चाहिए – भाजपा सांसद हेमा मालिनी

मथुरा पर नजर डालें तो पता चलेगा कि यह मंदिरों का शहर है, लेकिन कृष्ण जन्मस्थान को तोड़कर वहां मस्जिद बना दी गई| इस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए मस्जिद विवाद का समाधान होना चाहिए| अब वहां एक मंदिर है| वह मंदिर सुंदर है,लेकिन इस स्थान पर एक और भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए। ऐसा हेमा मालिनी ने कहा है|

Google News Follow

Related

यह बहुत अच्छी और खुशी की बात है कि राम का मंदिर अयोध्या में खड़ा है। भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने कहा, अब हमारी मांग है कि मथुरा में कृष्ण का भव्य मंदिर बनाया जाए। उन्होंने अयोध्या में ये मांग उस वक्त की है कि मथुरा में कृष्ण का भव्य मंदिर बनना चाहिए|अगर आप मथुरा पर नजर डालें तो पता चलेगा कि यह मंदिरों का शहर है, लेकिन कृष्ण जन्मस्थान को तोड़कर वहां मस्जिद बना दी गई| इस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए मस्जिद विवाद का समाधान होना चाहिए| अब वहां एक मंदिर है| वह मंदिर सुंदर है,लेकिन इस स्थान पर एक और भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए। ऐसा हेमा मालिनी ने कहा है|

मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का विवाद भी अगला मुद्दा हो सकता है| ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई अभी चल ही रही है कि अब राम जन्मभूमि की तरह कृष्ण जन्मभूमि का विवाद भी बढ़ता जा रहा है| इस संबंध में कोर्ट में सुनवाई चल रही है और दोनों पक्षों की ओर से दावे-प्रतिदावे किए जा रहे हैं|

ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, इस शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण 1670 में औरंगजेब के निर्देश पर किया गया था। ऐसा दावा किया जाता है कि इसे पहले के मंदिर की जगह पर बनाया गया था। इस भाग को ‘नजूल’ कहा जाता था। इसके बाद यह भूमि मराठों की संपत्ति बन गयी। बाद में जमीन का कब्ज़ा अंग्रेजों के पास चला गया। 1815 में वाराणसी के राजा पटनीमल ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा आयोजित नीलामी में यह 13.37 एकड़ जमीन खरीदी थी।

राजा पटनीमल के उत्तराधिकारियों ने यह जमीन आगे जुगल किशोर बिड़ला को बेच दी। इसे पंडित मदन मोहन मालवीय, गोस्वामी गणेश दत्त और भिक्कन लालजी अत्रे के नाम पर पंजीकृत किया गया था। इसके बाद कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई| इस जमीन पर कटरा केशव देव मंदिर का मालिकाना हक ट्रस्ट का है। इस जमीन से जुड़ी याचिकाओं और सुनवाई में अक्सर मंदिर और ईदगाह के बीच 1968 में हुए समझौते का जिक्र किया जाता रहा है| मंदिर ट्रस्ट की ओर से दावा किया गया है कि यह समझौता फर्जी तरीके से किया गया है|

यह भी पढ़ें-

शर्मिला ठाकरे ने नार्वेकर के नतीजे पर उद्धव ठाकरे की आलोचना की​ ​!

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,488फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
167,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें