उन्होंने सवाल उठाया कि इतने सारे पेट्रोल बम कहां से आए और कैसे दूसरे राज्यों से लोग घटनास्थल पर पहुंचे। नागपुर के बाहर से लोग कैसे आ गए और दूसरे राज्यों के लोग कैसे इसमें शामिल हो गए। घायलों में ज्यादातर पुलिस अधिकारी थे। इसलिए मैं समझता हूं कि यह पूर्व नियोजित दंगा था।
आलोक कुमार ने इस हिंसा को हिंदू-मुसलमान विवाद नहीं, बल्कि मुस्लिम दंगा करार दिया और कहा कि इस दंगे में स्थानीय मुसलमानों का सहयोग था। उनका यह भी कहना था कि इस हिंसा के लिए अफवाहें फैलाई गईं। उन्होंने किसी धार्मिक पुस्तक का अपमान होने की बात को झूठा बताया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विहिप और बजरंग दल जैसे संगठन इस तरह के किसी भी धार्मिक अपमान के खिलाफ हैं और हम इस प्रकार की साजिश को फैलाने की कोशिशों को नकारते हैं।
आलोक कुमार ने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का मानना है कि यह दंगा पूर्व नियोजित था, तो यह साफ है कि विहिप पर आरोप लगाना सही नहीं है। उन्होंने मामले की पूरी जांच की मांग की और कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
आलोक कुमार ने औरंगजेब की मजार के महिमामंडन को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की और उसे गलत ठहराया। उनका कहना था कि औरंगजेब ने भारतीय समाज और हिंदू धर्म के खिलाफ जो अत्याचार किए, उसे कभी भी आदर्श के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। उन्होंने औरंगजेब के खिलाफ अपने आंदोलन को जारी रखने का आह्वान किया और कहा कि यह आंदोलन संविधान और कानून के दायरे में रहकर चलाया जाएगा।
आलोक कुमार ने कहा कि भारतीय समाज में राम और कृष्ण के मूल्यों का महिमामंडन होना चाहिए, और औरंगजेब का महिमामंडन किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए।
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