अशोक तंवर को राहुल गांधी का करीबी भी कहा जाता है, उन्हें कांग्रेस ने हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया था। तंवर 5 साल आठ माह तक हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 2009 से लेकर 2014 तक वे सिरसा से सांसद रहे हैं। हालांकि, तंवर की 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में हार गए थे। तंवर कांग्रेस के कई पदों पर रहे हैं। जिसमें अखिल कांग्रेस कमेटी के सचिव भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर एनएसयूआई से ही शुरू किया था।
2019 का लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को छोड़ दिया था. कहा जाता है कि तंवर ने कांग्रेस भूपेंद्र हुड्डा की वजह से छोड़ा था। दोनों नेताओं में लंबे समय से मनमुटाव चल रहा था। तब उन्होंने दावा किया था कि बीजेपी उन्हें बड़ा पद ऑफर की थी मगर उन्होंने उस ऑफर को ठुकरा दिया था। इसके बाद उन्होंने अपना राजनीति दल “अपना भारत मोर्चा” रखा था। लेकिन तंवर का यहां भी ज्यादा समय तक मन नहीं लगा। उसके बाद उन्होंने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद टीएमसी ने उन्हें गोवा विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी। मगर पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के बाद उन्होंने उसे भी अलविदा कह दिया और 2022 में दिल्ली अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए।
कहा जा रहा है कि तंवर के आने से आप पार्टी उत्साहित थी, लेकिन, तंवर ने 18 जनवरी 2024 को आप को बाय बाय बोल दिया। शनिवार को वे बीजेपी में शामिल हो गए। तंवर के बीजेपी में शामिल होने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि तंवर हमारे भांजा है। उनकी मां और मै एक ही गांव से आते हैं।
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