केंद्र सरकार के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से प्याज की कीमतें गिर गईं। स्थानीय स्तर पर इसका गहरा असर हुआ|विरोध प्रदर्शन भी हुए|हालाँकि, उपरोक्त निर्णय को संशोधित नहीं किया गया था। इस पृष्ठभूमि में, किसान संघर्ष समिति ने सरकार के निर्यात प्रतिबंध और किसान बाजार प्रतिबंध के खिलाफ विरोध शुरू करने की तैयारी की है। इसके मुताबिक शनिवार दोपहर तीन बजे गंगापुर रोड स्थित रावसाहेब थोराट हॉल में बैठक होगी|प्याज निर्यात प्रतिबंध के खिलाफ आंदोलन की तैयारी के लिए शनिवार को पहली बैठक बुलाई गई है|
अचानक निर्यात प्रतिबंध के फैसले से किसान संकट में हैं| दूध को घोषित दर भी नहीं मिलती। अन्य कृषि जिले के साथ अलग-अलग समस्याएं हैं। बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी|कृषि से जुड़े मुद्दों पर किसानों को संगठित किया जाएगा। किसान अपना माल बाजार समिति में न ले जाएं, इसका विरोध करने की योजना है।
बैठक में उसी के अनुरूप चर्चा होगी|बैठक में राजनीतिक दलों या किसान संगठनों के पदाधिकारी हिस्सा ले सकते हैं| समिति के पदाधिकारी दीपक पगार ने कहा, लेकिन उन्हें अपनी राजनीतिक संबद्धताएं अलग रखने और किसानों के रूप में भाग लेने के लिए कहा गया।
प्याज निर्यात प्रतिबंध से पहले की कीमत और निर्यात प्रतिबंध के बाद की कीमत में 1000 से 1200 रुपये का अंतर है| इस फैसले से एक झटके में हजारों उत्पादकों को नुकसान हुआ, जबकि प्याज को अच्छी कीमतें मिलीं। इस समय बाजार में नये लाल प्याज की आवक बढ़ती जा रही है|इसका जीवनकाल छोटा होता है|कटाई के बाद इसे यथासंभव बाजार तक ले जाना पड़ता है। ऐसे में सामान को बाजार तक पहुंचाने के लिए आंदोलन की रणनीति कैसे तय होती है, इस पर सबकी नजर है|
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