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अप्रैल से जून 2025 तक विवाह के 40 शुभ मुहूर्त, मई में मिलेंगे सबसे ज़्यादा मौके!

6 जुलाई तक विवाह समेत सभी शुभ कार्य बिना किसी ज्योतिषीय बाधा के किए जा सकते हैं।

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जिन घरों में शादी की शहनाइयां बजने वाली हैं और माता-पिता बच्चों के गठबंधन के सपनों में डूबे हुए हैं, उनके लिए एक बड़ी खबर है—हिंदू पंचांग के मुताबिक मांगलिक कार्यों का शुभ समय फिर से शुरू हो चुका है। सूर्य के 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करते ही शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध हट चुका है और अब 16 अप्रैल से विवाह का सिलसिला पूरे जोरों से चल पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें, तो अप्रैल से जुलाई 2025 तक के तीन महीनों में शादी के कुल 40 मुहूर्त उपलब्ध होंगे।

ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णुशास्त्री बताते हैं कि 6 जुलाई तक विवाह समेत सभी शुभ कार्य बिना किसी ज्योतिषीय बाधा के किए जा सकते हैं। सूर्य का मीन से मेष राशि में गोचर करना मांगलिक कार्यों के लिए संजीवनी जैसा माना जाता है। ऐसे में अब देशभर में शहनाइयों का गूंजना तय है।

मुहूर्तों का महीनों के हिसाब से ब्योरा

  • अप्रैल 2025: इस महीने 16, 18, 19, 20, 21, 22, 25, 29 और 30 तारीख को विवाह के शुभ योग बन रहे हैं। कुल मिलाकर अप्रैल में 10 दिन विवाह के लिए उत्तम रहेंगे।
  • मई 2025: यह महीना विवाह के लिए सबसे समृद्ध होगा। 1 से 18 और फिर 22 से 28 तक, कुल 20 दिनों में शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं।
  • जून 2025: महीने की शुरुआत से ही विवाह योग्य तारीखें मौजूद हैं—1, 2, 4, 5, 6, 7, 8 को मिलाकर कुल 10 दिन इस महीने शादी के लिए उपयुक्त हैं।

जुलाई से फिर लगेगा विराम:

6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ ही चार महीनों के चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी, जिसमें भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस कालखंड में विवाह समेत अन्य शुभ कार्यों पर परंपरागत रूप से रोक लग जाती है। यह विराम 1 नवंबर तक रहेगा, जब देवउठनी एकादशी के साथ भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे और पुनः विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।

योजनाओं में देर न करें:

अगर आप या आपके घर में किसी की शादी की योजना तीन महीनों के अंदर है, तो ये तारीखें आपके लिए वरदान साबित हो सकती हैं। अच्छे मुहूर्तों के चलते पंडित से लेकर बैंड-बाजे तक सबकी मांग तेज़ होने वाली है। इसलिए योजना अभी से बना लीजिए, वरना “शादी के मुहूर्त थे पर सब बुक हो गए” वाली कहावत हकीकत बन सकती है।

इस बार का वैवाहिक सीजन न केवल लंबा है बल्कि अति शुभ भी, और यही वजह है कि देशभर में फिर एक बार पारंपरिक बंधनों के साथ प्रेम और जिम्मेदारी के नए अध्याय रचे जाएंगे।

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