प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघम्बरी मठ के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ श्री मठ बाघंबरी गद्दी में उनके गुरु के बगल में भू-समाधि दे दी गई। महंत नरेंद्र गिरि पद्मासन मुद्रा में ब्रह्मलीन हुए। अब एक साल तक यह समाधि कच्ची ही रहेगी। शिवलिंग की स्थापना कर रोज पूजा अर्चना की जाएगी> इसके बाद समाधि को पक्का बनाया जाएगा। आज गमगीन माहौल में महंत नरेंद्र गिरि को अंतिम विदाई दी गई। उन्हें पद्मासन मुद्रा में समाधि दी गई है। उन्हें योग की मुद्रा में बैठाया गया। इसके बाद मिट्टी, चंदन, इत्र डाला गया। यही नहीं गुलाब की पत्तियों से पूरे समाधि स्थल को भरा गया। इस दौरान बड़े-बड़े संतों ने अपनी अंतिम विदाई दी। पूरी वैदिक परंपरा और सनातन धर्म की परंपरा के मुताबिक उन्हें अंतिम विदाई दी गई।
अभी भी उनकी मौत की जांच लगातार चल रही है, कई किरदार सामने आए हैं, कई किरदार सामने आने बाकी हैं लेकिन इस बीच उनके भक्तों ने उनके शिष्यों ने और संतों ने उन्हें पूरी सनातन धर्म की परंपरा के साथ अंतिम विदाई दी। महंत के शिष्य बलबीर गिरि, जिन्हें उन्होंने उत्तराधिकारी बनाया, वह भी इस दौरान मौजूद रहे। सभी संतों के चेहरों पर गम दिखा यही नहीं उनके मन में गुस्सा भी दिखाई दे रहा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में उनके गुरु भगवान गिरी की समाधि के बगल में नींबू के पेड़ के नीचे उन्हें भू-समाधि दी गई। संत परम्परा के मुताबिक वैदिक मंत्रोचार और पूजन के साथ भू-समाधि की रस्में निभाई गई। नम आंखों से शिष्यों, अनुयायियों और साधु संतों ने पुष्प वर्षा कर उन्हें अंतिम विदाई दी।