आज 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी पूजन है। हर शुभ कार्य में सबसे पहले क्यों पूजे जाते हैं गणेश जी सभी अपने घरों में गणपति का स्वागत करते हैं और एक साथ मिलकर मंगलकामना करते हैं। आप की पूजा संपन्न हो इसके लिए ये भी जानना जरूरी है कि पूजन की सही विधि क्या है और पूजा के दौरान कैसे श्री गणेश की आराधना करनी है। वैसे तो श्री गणेश से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि गणपति की कथा को सुनने से सभी संकट दूर होते हैं।
कहानी कुछ ऐसी है कि एक बार देवता कई तरह की मुश्किलों में घिरे थे. ऐसे में वे सहायता के लिए भगवान शिव के पास आए थे। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय और गणेशजी दोनों बेटे भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर महादेव ने कार्तिकेय और गणपति जी से पूछा कि आप दोनों में से कौन इन देवताओं की परेशानियों का हल करेगा। तब कार्तिकेय व लंबोदर गणेश दोनों ने ही खुद को इसके लिए योग्य और सक्षम बताया.भगवान शिव ने दोनों बेटों की परीक्षा लेनी की सोची, उन्होंने कहा कि आप दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की पूर्ण परिक्रमा करके आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा।
भगवान शिव के मुंह से ये बात निकलनी ही थी कि कार्तिकेय खुद के वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े, लेकिन गणेश जी सोच में पड़ गए कि वह चूहे पर सवार होकर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो फिर उन्हें बहुत ही ज्यादा समय लग जाएगा, तभी झट से उन्हें एक उपाय सूझा. श्री विनायक अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात बार पूर्ण परिक्रमा करके अपने स्थान पर फिर से विराजमान हो गए. दूसरी तरफ परिक्रमा करके लौटे कार्तिकेय खुद को ही विजेता मानने लगे. भोलेनाथ ने श्री गणपति से पृथ्वी की परिक्रमा न करने की वजह पूछी. तब गणपति ने जवाब में कुछ ऐसा कहा – ‘माता-पिता के चरणों में ही पूरी दुनिया होती है.’ यह सुनकर भगवान शिव ने गणेश जी को ही देवताओं का संकट दूर करने की आज्ञा दी। भगवान भोलेनाथ ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके संकट दूर होंगे।