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Friday, February 21, 2025
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कितने मुस्लिम थे?

शिवाजी महाराज की जीवनी में बार बार मुस्लिम एंगल डालकर उन्हें सेकुलर सिद्ध करने की कोशिश करना कोई बुद्धिमानी का लक्षण नहीं…बल्कि मूर्खता का है… आप आपकी दुनिया के सेकुलरिजम के नियम शिवाजी महाराज पर थोंपकर आपकी आकलन की कम शक्ती दिखा रहें होते है?

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ज्यूलियन कैलेंडर के अनुसार आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। आज के दिन प्रशासन उस महान राजा को याद करते हुए आदरांजली देता है जिसने इस देश में हिंदू विवेक के विचार को, हिंदू धर्म को, हिंदू संस्कृती को बचाए रखने के लिए क्रूर मुग़ल आक्रमणकरियों के ख़िलाफ़ युद्ध किए…. अपनी प्रजा को सुखी किया, हिंदुओं को सीना तान कर गर्दन उठाकर, शत्रु की आंखों में आंखे डालकर देखने की हिम्मत दी। ऐसे राजा को न्यूज़ डंका भी प्रतिदीन नमन करता है। लेकीन हमारे समाज में वामपंथी और वामपंथनों का स्तर इतना गिर चूका है, मानों उनकी अपनी विचारधारा को केवल राष्ट्रीयत्व की विचार वालों ने नहीं बल्की खुद उन्होंने भी कूड़ा समझ लिया है। या फिर मुस्लिम तुष्टिकरण करना उन्हें अपनी विचारधारा की बात करने से ज्यादा अच्छा लगता है।

घटना कोई भी हो वामपंथी शोले के गब्बर जैसे सवाल लेकर टपकते है के कितने मुस्लिम थे। इसी बीच पत्रकारिता की दलाली में दो नंबर पर पहचाने जाने वाले राजदीप…दो नंबर पर इसीलिए क्योंकि एक नंबर पर तो अभी भी रविश बना हुआ है। तो पत्रकारिता के दलाली में अपनी कलम घीस चूके राजदीप ने आज खुद ही कितने मुस्लिम थे इस गब्बर वाले सवाल का जवाब दे दिया, और हमेशा की तरह जवाब देते हुए फिर वामपंथी जहर को हिंदूओं के दिमाग में घोलने की कोशिश की कैसे आइए समझते। 

हम सभी हिंदू छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी सेना में काम कर चुके, स्वराज्य के लिए बलिदान हो चुके सेनानियों के प्रति ऋणी है, उनका आभार व्यक्त करते है। उनकी जाती धर्म देखे बिना, जिन्होंने हिंदवी स्वराज्य के लिए रक्त बहाया उनके अभिवादन भी करते है। हम ऐसा इसीलिए करते है ताकि हम यह याद रख सके की हम आज हिंदू है और अगर आज हम मंदिर में जाकर पूजा अर्चा कर पा रहे है, अपने पवित्र संस्कृती का आनंद ले पा रहें है, तो छत्रपति और उनके सेना की वजह से! हम आज गर्व से अपने आप को हिंदू कह पा रहें है तो हमारे पूर्वजों के अतुलनीय बलिदानों से। 

हिंदू जब कभी शिवाजी महाराज और हमारे पूर्वजों को याद करते है उन्हें यह भी याद आता है की किस प्रकार मुस्लिम आक्रमणकारिओं ने इस देश में उत्पात मचाया था। किस प्रकार मंदिरों को ध्वस्त किया था, करोड़ों हिंदुओं को मौत के घाट उतारा था, करोड़ों हिंदुओं को तलवार की नोंक पर धर्मांतरित किया था। हमारे ही देश में हमपर जिज़िया कर लगाकर हमारे पूर्वजो को किस तरह अपमानित किया जाता रहा। इस दौर में किसी त्यौहार को मनाना, विवाह का आयोजन करना, धार्मिक अनुष्ठानों को करना अपने आप में मौत को दावत देने के सामान था।

इसीलिए जब कभी हम अपने पूर्वजों के बलिदान को याद करते है तो इस भावना से प्रेरित होते है की अगर हमारे पूर्वजों ने अपनी संस्कृति को बचाने, धर्मध्वजा को लहराने के लिए अपना रक्त बहाया तो क्या हम अपना वक्त नहीं बहा सकते? उन्होंने अरबों की गुलामी को फटकारते हुए हिंदवी स्वराज्य के लिए संघर्ष किया। इसी इतिहास से हम प्रेरणा लेते है की हम आज भी, कल भी और कभी भी इस अरबी मानसकिता की, क्रूर व्यवस्था की गुलामी नहीं करेंगे, हम अपने अधिकारों और अपनी संस्कृति का संवर्धन करेंगे। जरूरत पड़ेगी तब संघर्ष करेंगे, छत्रपति शिवाजी महाराज के दिखाए रस्ते पर चलेंगे। हमारे जिन हिंदू भाइयों को आक्रमणकारियों ने मुस्लिम बनाया उनकी ‘घरवापसी’ करवाएंगे। उन्हें शुद्ध करवाएंगे, उन्हें वो सन्मान फिर दिलवाएंगे जिसके वो हक़दार है। 

यही है छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य का इतिहास समझने वालों की सोच! क्योंकि महाराज भी यही चाहते थे।

लेकिन वामपंथी जान बूझकर इस इतिहास में एक ऐसा मुस्लिम एंगल घुसाना चाहते है जिससे हिंदू समाज फिर भ्रमित हो जाए, और रैडिकल मुसलमानों को सेफ पैसेज मिले। वो चाहते है की हिंदू समाज फिर भूल जाए की उन्होंने किस आक्रमण से संघर्ष किया और वो संघर्ष आज भी ख़त्म नहीं हुआ है बल्की संघर्ष का स्वरुप बदल गया है… और भी भीषण हो गया है। 

दोस्तों वामपंथी इतिहास हिंदुओं को भ्रम में डालने के लिए लगातार शिवाजी महाराज की सेना में कितने मुस्लिम थे इसकी संख्या बताते आए है। महाराष्ट्र के वामपंथी-ब्रिगेडी इतिहासकार, तो आंकड़े ऐसे फेंकते है मानों यही लोग छत्रपति की सेना को वेतन देने का काम करते थे। कभी कहते में महाराज की सेना में 80 हजार मुस्लिम सैनीक थे, कभी कहते है शिवाजी महाराज के 13 मुस्लिम अंगरक्षक थे, कभी कहते है शिवाजी महाराज की सेना में 36 प्रतिशत, कभी 57 प्रतिशत मुसलमान थे। हद तो तब हुई जब एक ने शिवाजी महाराज की सेना में 70 प्रतिशत मुस्लिम होने का दावा कर दिया। एक पब्लिक स्पीकर है… डॉ. झाकीर खान आदम खान पठाण इन्होंने अपनी पीएचडी इस पर की की मराठा सेना में कितने मुस्लिम थे, इनका दावा है की 123 मुस्लिम सरदार थे। लेकीन…

वामपंथियों की सभी नरेटिव को काउंटर करने वाला ट्वीट आज उनके ही एक सरदार राजदीप ने कर दिया। हालांकि उनकी कोशिश वामपंथी नरेटिव को ही फ़ैलाने की थी, लेकीन कमसे कम राजदीप ‘कितने मुस्लिम थे?’ इसके क़रीब तो पहुंचे। 

राजदीप ने ट्वीट कर कहा यह महान छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती। ऐसे दौर में जब इतिहास का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, एक दिलचस्प बात यह है कि छत्रपति शिवाजी की सेना में कम से कम 13 प्रमुख मुस्लिम कमांडर या सैनिक थे, सिद्धि हिलाल, दौलत खान, इब्राहिम खान, काजी हैदर, सिद्दी इब्राहिम, सिद्दी वाहवा, नूरखान बेग, शमा खान, हुसैन खान मियानी, सिद्दी मिस्त्री, सुल्तान खान, दाऊद खान और मदारी मेहतर। …

साथ ही राजदीप ने कहा, शिवाजी महाराज ने मुगलों से असाधारण साहस के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन उन्होंने अपने राज्य में धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता को नहीं छोड़ा।

जब राजदीप ने यह ट्वीट लिखा तब विडंबन का भी विडंबन हो गया। राजदीप अपने ट्वीट में लिख रहा है ऐसे दौर में जब इतिहास का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है…तो राजदीपजी इस शिवजयंती पर लिखे ट्वीट में उनके मुस्लिम सैनिकों के नाम से आप क्या करना चाहते थे ? क्या आपका इसमें कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था? 

खैर कमसे आज राजदीप सही संख्या के करीब तो पहुंचे है…दोस्तों छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी पर ४० वर्ष से अधिक संशोधन कर चुके ऋषितुल्य इतिहास संशोधक है डॉ. गजानन भास्कर मेहेंदळेजी. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की ये वो इतिहासकार है जो बिना किसी संदर्भ या प्रमाण के लिखते नहीं, वो जो लिखते है उसके प्राथमिक सबूत उनके पास होते है। और वो जो अनुमान लगाते भी है तो वो उपलब्ध जानकारी और उस वक्त की परिस्थितयों के अनुरुप ही लगाए जाते है …यही सच्चे इतिहासकार का काम भी होता है। 

डॉ. गजानन मेहेंदळे के अनुसार शिवाजी महाराज की सेना में कुल 436 हिंदू सरदारों के नाम आए है…लेकीन महाराज के पास तकनिकी कामों से लेकर शिवाजी महाराज के पिताजी ने उनके पास भेजे मुस्लिम को मिलाकर कुल बारा नाम आते है, राजदीप का लिखा मदारी मेहतर यह एक काल्पनिक और झूठा मुस्लिम पात्र है। अब 12 लोग हुए तो इसका कुल प्रतिशत कितना हुआ? 3 प्रतिशत! लेकीन शहाजी महाराज को आदिलशाह ने कैद किया उसके बाद से शहाजी महाराज ने शिवाजी महाराज के पास भेजे 5 मुसलमान पुरे इतिहास में कहीं नहीं दीखते। साथ ही कुछ को शिवाजी महाराज ने फ़ारसी लिखने-पढ़ने के लिए, कुछ को अन्य तकनिकी कामों के लिए रखा था। और अगर इन सभी को हम 12 से निकालते है तो शिवाजी महाराज पर ईमान लाकर, उनके साथ काम करने वाले केवल 2 ही मुस्लिम बचते है। 

अब आप इस बात को समझिए, की इस्लाम के अनुसार जो शिवाजी महाराज की सेना में उनकी मदद से अपने ही मुस्लिम भाइयों के खिलाफ लड़ रहे थे, उन्हें मुनाफिक कहा जाना चाहिए… ऐसे मुनाफ़िक़ जो की वाजिबुल क़तल कहे जाते है। यानि शिवाजी महाराज के साथ काम करने वाले इस्लाम से कम प्रेरित थे और उनकी स्वराज्य में काम करने की प्रेरणा कुछ और थी।

शिवाजी महाराज की जीवनी में बार बार मुस्लिम एंगल डालकर उन्हें सेकुलर सिद्ध करने की कोशिश करना कोई बुद्धिमानी का लक्षण नहीं…बल्कि मूर्खता का है… आप आपकी दुनिया के सेकुलरिजम के नियम शिवाजी महाराज पर थोंपकर आपकी आकलन की कम शक्ती दिखा रहें होते है? शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज उन्हें म्लेछाक्षयदीक्षित की उपाधि लगाते है… यानी ऐसा योद्धा जिसने म्लेच्छों को मिटाने की प्रतिज्ञा ली हो…फिर आप उन्हें सेकुलर किस मुंह से बताते है?

खुद शिवाजी महाराज अपने भाई व्यंकोजी महाराज को पत्र लिखकर कहते है की तुम्हारी सेना में तो मुस्लिम है… और  मुसलमानों को साथ लेकर तुम मुस्लिमों पर कैसे विजय प्राप्त कर पाओगे?

शिवाजी महाराज अपने जीवन काल में एक भी मस्जिद नहीं बनवाते है…लेकीन तुड़वाते जरूर है है, और राजदीप लिख रहा है शिवाजी महाराज धार्मिक सौहार्द बना रहे थे। आपने एक राजा के कर्तुत्व को कम दिखाकर उसके साथ यह छल किया है। शिवाजी महाराज ने भिवंडी की मस्जिदों तोड़ने के बजाए उनके गोदाम बनवाए थे…उनके अस्तबल बनवाए थे…शिवाजी महाराज ने अपने एक सहकारी नेतोजी पालकर को जबरन मुस्लिम बनाए जाने के बाद उसकी घरवापसी भी करवाई थी। आप कह रहें है नहीं वो तो सहिष्णु थे… सौहार्द बनाते थे।

अगर शिवाजी महाराज वामपंथियों के अनुसार सेकुलर थे तो अपने साम्राज्य को उन्होंने हिंदवी साम्राज्य क्यों कहा? दो पोर्तुगली पादरियों का सिर धड़ से अलग क्यों किया? गौ रक्षा, हिंदू रक्षा के आदेश क्यों निकाले ? और अगर यह आदेश निकाले तो किसके ख़िलाफ़ निकाले? दोस्तों वामपंथी जहर से भ्रमित होने से पहले हिंदू इतिहास का अमृत चखना जरुरी है, वरना हमपर फिर एक बार मातृभूमि का विभाजन देखने की नौबत आ सकती। वामपंथी चाहते है की आप अपने इतिहास से ये नहीं सिख पाए की आपने यह स्वतंत्रता केवल अंग्रेजों से नहीं बल्की मुग़लो से भी पाई है। लेकिन हम इस सच को बार बार लगातार कहते रहेंगे कि हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता मुगलों से ही लड़ते हुए पाई है। 

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