बैसाखी के पावन अवसर पर उत्तराखंड के हरिद्वार में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु मां गंगा की गोद में पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचे। तड़के से ही हर की पौड़ी, गंगा सभा घाट, मालवीय घाट और अन्य प्रमुख स्थानों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा, जो दिन चढ़ने के साथ-साथ और भी विशाल होता गया।
गंगा घाटों पर श्रद्धालु गंगा जल में स्नान कर, दीपदान और पूजा-अर्चना कर रहे हैं। घाटों पर ‘हर हर गंगे’ के जयघोष और घंटियों की मधुर ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो गया। श्रद्धालु परिवारों सहित गंगा तट पर पहुंचे और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया तथा देश और समाज की समृद्धि की कामना की।
एक श्रद्धालु अमरजीत सिंह ने बताया—”बैसाखी पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। यह हमारे लिए आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर है। यहां आकर ऐसा लगता है जैसे आत्मा भी निर्मल हो जाती है।” हिंदू और केशधारी हिंदू (सिख) समुदाय में यह पर्व ऋतु परिवर्तन, फसल कटाई और नए वर्ष के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है।
इतनी विशाल भीड़ को देखते हुए प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा, व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। मेला क्षेत्र को 4 सुपर जोन, 9 जोन और 40 सेक्टरों में बांटा गया है। करीब 800 पुलिसकर्मी, PAC बल, गोताखोर, और सादे कपड़ों में तैनात जवान सुरक्षा निगरानी में लगे हुए हैं। डॉग स्क्वॉड भी लगातार सक्रिय है।
सीसीटीवी कैमरों से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही है, जबकि ट्रैफिक डायवर्जन और कंट्रोल रूम से संचालित रूट मैनेजमेंट के जरिए भीड़ को नियंत्रित किया जा रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट, 24×7 एम्बुलेंस और घाटों के पास प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने बताया—”बैसाखी स्नान पर्व पर हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। हमने सुरक्षा, ट्रैफिक और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए व्यापक तैयारियां की हैं।” वहीं, एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने कहा—”हर बड़ा स्नान पर्व हमारे लिए चुनौती होता है, लेकिन हमारी टीमें पूरी तरह तैयार हैं। लाखों लोगों के गंगा स्नान की संभावना को देखते हुए प्रशासन और पुलिस अलर्ट मोड में हैं।”
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे दिशा-निर्देशों का पालन करें, बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, और किसी भी आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें।हरिद्वार में बैसाखी का यह महापर्व एक बार फिर यह साबित कर गया कि गंगा केवल नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना की धारा है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं को हर वर्ष अपनी ओर खींच लाती है।
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