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Monday, December 8, 2025
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पहलगाम हमले पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा- यह ‘धर्म और अधर्म के बीच लड़ाई’

यह लड़ाई अब हिंदू-मुसलमान के बीच नहीं, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने इस हमले को लेकर स्पष्ट रूप से कहा कि यह लड़ाई अब हिंदू-मुसलमान के बीच नहीं, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच है। भागवत का मानना है कि यह हमला एक जघन्य कृत्य था, जिसमें आतंकवादियों ने न केवल निर्दोष नागरिकों की हत्या की, बल्कि धर्म के नाम पर हत्याएं कीं।

डॉ. मोहन भागवत ने मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की 83वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, “आज की लड़ाई संप्रदाय और धर्म के बीच नहीं, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच है। हमारे सैनिकों या नागरिकों ने कभी किसी से उसका धर्म नहीं पूछा, लेकिन आतंकवादियों ने धर्म पूछकर लोगों की हत्या की। हिंदू कभी ऐसा नहीं करेंगे।”

भागवत ने इस हमले पर गुस्से और शोक का इजहार करते हुए यह भी कहा कि जब समाज में एकता की भावना बढ़ती है, तो हमे एकजुट रहने की आवश्यकता है। “जब हम आपसी मतभेदों से बाहर निकलते हैं और एकता के सिद्धांत का पालन करते हैं, तब समाज में सौहार्द्र और एकता बढ़ती है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने कहा कि यह घटना एक बार फिर हमें यह समझने का अवसर देती है कि धर्म और अधर्म के बीच का संघर्ष है। डॉ. भागवत ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे रावण को उसके अहंकार के कारण राम ने पराजित किया, वैसे ही हमें भी ऐसे दुश्मनों से लड़ने के लिए अपनी शक्ति को जागरूक और संयमित रखना होगा।

भागवत ने आगे कहा कि “हमारा समाज जब एकजुट होगा, तो कोई भी तिरछी नजर से हमे नहीं देख सकेगा। अगर कोई ऐसी नजर डालेगा तो उसे कड़ा जवाब मिलेगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू समाज का स्वभाव घृणा और दुश्मनी फैलाना नहीं है, लेकिन वे अपने सम्मान और आत्मसम्मान के लिए किसी भी चुनौती का सामना करेंगे।

सरसंघचालक ने यह भी कहा कि शक्तिशाली व्यक्ति को अहिंसक होना चाहिए, लेकिन जब समय आए, तो अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस बार देश को उम्मीद है कि आतंकवादियों के खिलाफ एक सशक्त और निर्णायक प्रतिक्रिया दी जाएगी।

पहलगाम हमले के बाद डॉ. मोहन भागवत का यह संदेश देशवासियों के बीच एकजुटता और राष्ट्र के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास करता है, ताकि ऐसे घातक हमलों के खिलाफ हम सशक्त रूप से खड़े हो सकें।

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