महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में अंबरनाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे अंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव कुछ वर्ष अंबरनाथ में बिताए थे, तब उन्होंने विशाल पत्थरों से एक ही रात में इस मंदिर का निर्माण किया था। फिर कौरवों द्वारा लगातार पीछे किए जाने के भय से यह स्थान छोड़कर चले गए। जिससे मंदिर का कार्य पूरा नहीं हो सका था। हालांकि यह मंदिर आज भी खड़ा है। वहीं मंदिर में मिले शिलालेख के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 1060 ईं में राजा मांबाणि ने करवाया था। इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें…
अंबरनाथ शिव मंदिर अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के बाहर दो नंदी बैल बने हुए हैं। मंदिर के प्रवेश के लिए तीन मुखमंडप हैं। अंदर जाते हुए सभामंडप तक पहुंचते हैं और फिर सभामंडप के बाद 9 सीढ़ियों के नीचे गर्भगृह स्थित है। मंदिर की मुख्य शिवलिंग त्रैमस्ति की है और इनके घुटने पर एक नारी है, जो शिव-पार्वती के रूप को दर्शाती है। शीर्ष भाग पर शिव नृत्य मुद्रा में दिखाई देते हैं। मंदिर के गर्भगृह के पास गर्म पानी का कुंड भी है। इसके पास ही एक गुफा भी है, जो बताया जाता है कि उसका रास्ता पंचवटी तक जाता है।
यूनेस्को ने अंबरनाथ शिव मंदिर सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है। यह मंदिर वलधान नदी के तट पर स्थित है। मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है, जिससे यहां देश-विदेश से कई लोग आते हैं। मंदिर की बाहर की दिवारों पर भगवान शिव के अनेक रूप बने हुए हैं। इसके साथ ही गणेश, कार्तिकेय, चंडिका आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां से सजा हुआ है। मंदिर में देवी दुर्गा की असुरों का नाश करते हुए भी दिखाया गया है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला 3-4 दिनों तक लगाया जाता है, तब यहां काफी भीड़ देखी जा सकती है।
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