ओडिशा के पुरी में शुक्रवार (27 जून )को निकाली गई भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में श्रद्धा का महासागर उमड़ा, लेकिन भारी भीड़ और भीषण गर्मी के कारण यह पवित्र पर्व हजारों श्रद्धालुओं के लिए पीड़ा का कारण भी बन गया। प्रशासन के अनुसार, 500 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए, जबकि कई को गर्मी और उमस की वजह से बीमार पड़ने पर अस्पताल ले जाना पड़ा।
सबसे ज्यादा अफरा-तफरी बालागांडी इलाके में मची, जहां भगवान बलभद्र के रथ ‘तालध्वज’ को एक मोड़ पर मोड़ने में दिक्कतें आईं। रथ लगभग एक घंटे तक वहीं अटका रहा। इस दौरान भीड़ लगातार बढ़ती रही और कई श्रद्धालु फंस गए। कुछ लोग खुद को बचाने के प्रयास में गिर पड़े और घायल हो गए।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भेजा गया है। एम्बुलेंस पहले से तैयार रखी गई थीं, जिससे राहत कार्यों में तेजी आई। हालांकि, कोई मौत दर्ज नहीं की गई है। ओडिशा के मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा, “गर्मी के कारण एक-दो श्रद्धालु बेहोश हुए, लेकिन रेस्क्यू टीम ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया। सभी को उचित इलाज मिल रहा है।”
प्रशासन ने बताया कि रथ मोड़ने में हुई दिक्कत और नियंत्रित क्षेत्रों में श्रद्धालुओं के प्रवेश के चलते जाम की स्थिति और बिगड़ गई। सुरक्षा कर्मियों ने लगातार भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन उत्साह में कई श्रद्धालु नियंत्रण रेखाओं को पार कर गए, जिससे रथ की गति धीमी पड़ गई और स्थिति तनावपूर्ण बन गई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस बार करीब 10 लाख श्रद्धालु पुरी पहुंचे, जिनमें से हजारों लोगों ने तीनों रथों को खींचने की परंपरा में भाग लिया। लेकिन शुक्रवार को कोई भी रथ अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच पाया, क्योंकि बलभद्र के रथ के रुकने के कारण यात्रा आगे नहीं बढ़ सकी।
प्रशासन ने बताया है कि शनिवार (28 जून )को पुनः रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू होई है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को पुरी के गुंडिचा मंदिर (भगवान की मौसी का घर) निकल चुके है।
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