एक कहावत है कि “घर का भेदी लंका ढहाए”। यह कहावत आज राजनीति में भी पूरी तरह से फलीभूत हो रही है। पहले इसका शिकार कांग्रेस बनी थी और अब समाजवादी पार्टी भी इसी राह पर चल पड़ी है। जी हां! रामचरितमानस और हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ हमेशा आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर लक्ष्मी जी के खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल किया है। उन्होंने दिवाली के अवसर पर पूछा है कि लक्ष्मी माता को चार हाथ कैसे हो सकते हैं ? कांग्रेस की हिन्दू विरोधी छवि बनने के बाद मतदाता उससे कटते चले गए और आज कांग्रेस की सरकार अँगुलियों पर गिनी जा सकती है। अब उसी राह पर समाजवादी पार्टी चल रह रही है। क्या समाजवादी पार्टी यूपी में भी अपना नामोनिशान मिटाने पर लगी है।
कभी देशभर में कांग्रेस का एकछत्र राज होता था। लेकिन आज कांग्रेस उन राज्यों में भी संघर्ष कर रही है जिन राज्यों में उसकी वर्तमान में सरकार है। ऐसा क्यों? यह बड़ा सवाल है। इस नाकामी को कांग्रेस या उसके नेता जानने की कोशिश नहीं करते हैं। अगर जानते हैं भी तो गलतियों को खत्म करने के बजाय उसे दोहराते हैं ? हिन्दुस्तान की जनता ने कांग्रेस का साथ क्यों छोड़ा, यह कांग्रेस के नेताओं को समझने और जानने की जरुरत है। कांग्रेस आज भी अपने पुराने ट्रैक पर चल रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने तेलंगाना अल्पसंख्यक घोषणा पत्र जारी किया है।
बहरहाल, पहले हम सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित टिप्पणी पर बात कर लेते हैं, तो कांग्रेस की बात करते हैं। तो स्वामी प्रसाद मौर्य दीपावली के अवसर पर एक्स सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है। जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी का पूजा व सम्मान करते देखा जा सकता है। वहीं, उन्होंने लिखा है कि पूरे विश्व के प्रत्येक धर्म, जाति, नस्ल, रंग व देश में पैदा होने वाले बच्चे के दो हाथ, दो पैर, दो कान, दो आंख, दो छिद्रों वाली नाक के साथ एक सिर, पेट व पीठ ही होती है, चार हाथ,आठ हाथ, दस हाथ, बीस हाथ व हजार हाथ वाला बच्चा आज तक पैदा ही नहीं हुआ तो चार हाथ वाली लक्ष्मी कैसे पैदा हो सकती है? यदि आप लक्ष्मी देवी की पूजा करना ही चाहते हैं तो अपने घरवाली की पूजा व सम्मान करें जो सही मायने में देवी है, क्योंकि आपके घर परिवार का पालन-पोषण, सुख-समृद्धि, खान-पान व देखभाल की जिम्मेदारी बहुत ही निष्ठा के साथ निभाती है।
सवाल यह है कि मौर्य हिन्दू आस्था पर बार बार चोट करते हैं। बीजेपी का विरोध करते करते मौर्य हिन्दू देवी देवताओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करना शुरू कर दिया है, सपा में जाने से पहले मौर्य बीजेपी में थे,इससे पहले वे बहुजन समाज पार्टी में ,उसके बाद बीजेपी का दामन थामा था और आज साइकिल पर सवार हैं। मौर्य जैसे नेताओं की कोई विचारधारा नहीं होती है। केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता हिन्दू देवी देवताओं को निशाना बनाते रहे हैं। वैसे यह पहली बार नहीं है कि मौर्य ने हिन्दू देवी माता लक्ष्मी के चार हाथ पर सवाल खड़ा किया है। इससे पहले वे रामचरित मानस को बकवास करार दिया था और उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इसके अलावा उन्होंने हिन्दू धरम को फ़ारसी शब्द बताया था और कहा था कि इसका मतलब चोर, नीच और अधम होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अखिलेश यादव मौर्य पर कार्रवाई क्यों नहीं करते? माना जाता है कि एक रणनीति के तहत अखिलेश यादव मौर्य को छूट दे रखी है।
यही वजह है कि बार बार मौर्य हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करते हैं। याद रहे मौर्य भगवान कृष्ण के बारे में नहीं बोलते हैं। ऐसा क्यों यह भी एक रणनीति है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को निशाना बनाने पर यादव समाज नाराज हो जाएगा। जो सपा का कोर वोट बैंक है। सवाल यह है कि क्या हिन्दू समाज की आस्था को चोट पहुंचाकर अखिलेश यादव सत्ता की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं। अब मौर्य का सपा में ही विरोध होने लगा है। सपा नेता आईपी सिंह ने मौर्य के बयान का विरोध किया है और कहा कि यह पार्टी का विचार नहीं हो सकता है, यह मौर्य का निजी विचार है। इससे समझा जा सकता है कि मौर्य का अब अपने घर में ही विरोध शुरू हो गया है। वहीं, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि मौर्य एक एजेंडे के तहत सनातन धरम पर टिप्पणी कर रहे है। इतना ही नहीं कांग्रेस नेता ने कहा है कि मौर्य सपा को खत्म करने का सुपारी लिया है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम वह नेता है जो हाल ही में यह कहकर हलचल मचा दिया था कि कांग्रेस में राम और हिन्दू से नफ़रत करने वालों की कमी नहीं है। भले कांग्रेस नेता अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए पार्टी के नेताओं को निशाना बना रहे हो, लेकिन यह सच्चाई है। कांग्रेस ने जिस तरह से राम मंदिर और हिन्दू विरोधी रही है। यह देश अच्छी तरह से जानता है। मनमोहन सिंह का एक बयान ही काफी है कि भारत के संसाधनों पर पहला हम मुस्लिमों का है। हिन्दू आतंकवाद की परिभाषा कांग्रेस ने ही गढ़ी थी। उसी का नतीजा था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई थी और कांग्रेस की एक आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया था कि हिन्दू समाज पूरी तरह से कांग्रेस से कट चुका है। यही वजह है कि अब कांग्रेस के नेता अपने को हिंदूवादी बताने के लिए रोज नई नौटंकी करते हैं। बावजूद इसके, कांग्रेस ने तुष्टिकरण का दामन नहीं छोड़ा है।
हाल ही में तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने “अल्पसंख्यक घोषणा पत्र” जारी किया है। इस घोषणा को जारी करने के समय कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी, पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन और सलमान खुर्शीद मौजूद थे। कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस का यह दांव तेलंगाना में बैठ जाता है तो लोकसभा चुनाव में भी आजमाएगी। आज कांग्रेस की मात्र तीन राज्यों में सरकार है। वैसे राजस्थान में इस बार कांग्रेस की वापसी मुश्किल है। अगर सपा की बात करें, लगातार यूपी में दो विधानसभा चुनाव हार चुकी है और सत्ता से बाहर है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सही में सपा मौर्य को आगे कर दलितों और पिछड़ों की राजनीति कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रही है। क्या कांग्रेस की तरह सपा की भी हालत होगी ?
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