राजस्थान की मूल निवासी अवनि के गोल्ड मैडल में दमक है महाराष्ट्र के गौरव की,जानें

राजस्थान की मूल निवासी अवनि के गोल्ड मैडल में दमक है महाराष्ट्र के गौरव की,जानें

-महेश विचारे-

मुंबई। जापान के टोक्यो में पैरालंपिक खेलों के अंतर्गत 10 मीटर की एयर राइफल स्पर्धा में गोल्ड मैडल के साथ ही सभी भारतीयों का दिल भी जीत लेने वाली अवनि लेखरा मूलतः राजस्थान निवासी हैं। लेकिन, लोग क्या यह भी जानते हैं कि अवनि की इस सफलता में महाराष्ट्र का खासा योगदान है?

अवनि की निजी कोच हैं सुमा शिरूर

जी हां, अवनि नामक इस अर्जुन के गुरू द्रोण हैं महाराष्ट्र से। और वे हैं जानी-मानी निशानेबाज़ सुमा शिरूर। वे अवनि की प्राइवेट कोच हैं। उन्हीं के कुशल मार्गदर्शन में अवनि ने यह कारनामा कर दिखाया है।

स्वदेश वापसी पर रहेगी संतुष्टि

टोक्यो से सुमा ने ‘ न्यूज डंका ‘ से बातचीत करते हुए अवनि के प्रदर्शन पर अपार खुशी जताई। सुमा ने कहा कि अवनी जैसी दिव्यांग खिलाड़ियों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन उन चुनौतियों से पार पाने की दिशा में वे बहुत अच्छा काम कर रही हैं। स्वदेश वापसी पर मुझे इस बात की अद्भुत संतुष्टि होगी।

निराशा की भरपाई

सुमा ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में भारत को निशानेबाजी में ज्यादा सफलता नहीं मिली, पर अवनि के रूप में भारत को स्वर्ण मिला, क्या इसने उस कमी को पूरा किया है, अवनि ने ओलंपिक में निशानेबाजी में मिली निराशा की भरपाई की है !

जरा भी तैयार नहीं थी मैं

सुमा ने बताया कि 2017 में अवनि के पिता ने मुझे फोन किया था और उसे ट्रेनिंग देने कहा था। लेकिन हमें यकीन नहीं था कि क्या हम वास्तव में एक दिव्यांग खिलाड़ी को प्रशिक्षित कर सकते हैं। मैं तो जरा तैयार नहीं थी। लेकिन 2018 में एक बार फिर उसके पिता ने मुझसे संपर्क किया। फिर मैंने थोड़ी तैयारी की और उसे साथ ले अभ्यास करने लगी। तभी मुझे एहसास हुआ कि उसमें इतनी खूबी है कि मुझे उसे पहले ही प्रशिक्षित कर देना चाहिए था। इसके बाद से उस्ने फिर पनवेल रेंज में अभ्यास करना शुरू कर दिया। वह विशेष प्रशिक्षण के लिए जयपुर से पनवेल आया करती थीं।

थोड़ी घबराई थी पहले वह

सुमा ने कहा, ‘ मैंने उसे बाकी स्वस्थ बच्चों के साथ खेलने दिया, तो उसका आत्मविश्वास आसमान छू गया। अब वह 10 मीटर एयर राइफल के क्वालीफाइंग दौर में 7 वें रैंक पर है। पहले-पहल वह थोड़ी घबराई जरूर थी, लेकिन मैंने उससे 3-4 बार बात की। उसे थोड़ी राहत मिली। फाइनल में हालांकि, वह पूरी तरह से उन्मुक्त थी।

पिता का फैसला सही निकला

सुमा ने बताया कि अवनि का जब एक्सीडेंट हुआ था, वह बहुत छोटी थी, तभी वह पाँव से लाचार हो गई थी। उसके पिता ने तब उसे स्पोर्ट्स की तरफ प्रवृत्त करने का फैसला किया और उनका फैसला सही निकला।

अभी 3 प्रवर्गों में और हैं उम्मीदें

अवनि अब तीन और तरह के शूटिंग प्रवर्गों में हिस्सा लेंगी। अभी उसने ख़ास तौर पर सुमा द्वारा सिखाए गुर वाले प्रवर्ग में गोल्ड मैडल जीता है। अब उसे तीन और प्रवर्गों में उम्मीदें हैं। इसके अलावा वह 10 मीटर प्रोन और 50 मीटर प्रोन में भी खेलेंगी।

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