कर्नाटक की राजधानी में चल रहे सीट ब्लॉकिंग घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 ठिकानों पर छापेमारी की है। यह छापे 25 और 26 जून को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत डाले गए, जिनमें निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों, एजुकेशन कंसल्टेंसी कंपनियों और एजेंटों के परिसरों को शामिल किया गया था।
ईडी को इस कार्रवाई में महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत, आपत्तिजनक दस्तावेज और करीब 1.37 करोड़ रुपए नकद बरामद हुए हैं, जो कथित रूप से अवैध रूप से अर्जित की गई थी। जांच एजेंसी का कहना है कि यह नकदी कॉलेजों की मैनेजमेंट सीटों की हेराफेरी से जुड़ी है, जहां पैसे लेकर फर्जी तरीके से सीटें ब्लॉक की जाती थीं।
जांच में सामने आया है कि एजेंटों और कंसल्टेंसी कंपनियों का एक संगठित नेटवर्क देशभर से छात्रों को बेंगलुरु के नामी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला दिलवाने का काम करता था। ये लोग मैनेजमेंट कोटे की सीटों को पहले से ही ऐसे छात्रों के नाम पर ब्लॉक कर देते थे, जो असल में दाखिला लेने वाले नहीं होते थे। इन सीटों को फिर से बाजार में ऊंची कीमतों पर बेच दिया जाता था, जिससे करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की जाती थी।
ईडी ने जिन संस्थानों और उनके संबंधित परिसरों पर छापे मारे, उनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
- आकाश इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी
- न्यू होराइजन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
- इनके साथ जुड़े एजुकेशन कंसल्टेंसी ऑफिस और प्राइवेट एजेंट्स
इस पूरे मामले की जांच की शुरुआत कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (KEA) द्वारा दर्ज एफआईआर के बाद हुई थी। एफआईआर में आरोप था कि कुछ निजी कॉलेजों ने केईए में रजिस्टर्ड छात्रों के लॉगिन आईडी और पासवर्ड का गलत इस्तेमाल कर सीटों को जानबूझकर ब्लॉक किया, ताकि बाद में उन्हें ज्यादा दामों में बेचा जा सके। ईडी की अब तक की कार्रवाई से इस घोटाले की गहराई का अंदाज़ा लग रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, जांच अभी जारी है और कई अन्य संस्थानों और व्यक्तियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।
यह मामला न केवल उच्च शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह कुछ संस्थान और एजेंट मिलकर छात्रों की मेहनत और भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
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