अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्रोजेक्ट से जुड़े विवाद सामने आने के बाद इसकी कमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने हाथों में ले ली है। अब तक संघ के सरकार्यवाह रहे भैयाजी जोशी मंदिर परियोजना के केयरटेकर की भूमिका निभाएंगे। यानी अब पूरा प्रोजेक्ट भैयाजी जोशी की देखरेख में चलेगा। संघ में अनौपचारिक तौर पर यह निर्णय हो गया है। हालांकि, औपचारिक तौर पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट देख रहा है, जिसके सचिव चंपत राय हैं। राय को विश्व हिन्दू परिषद से ट्रस्ट में मनोनीत किया गया है।
अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए अभी तक 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम इकट्ठा हुई हैं, पर अनुमान है कि पूरी अयोध्या को विकसित करने के लिए इस प्रोजेक्ट पर करीब 10,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगें। कुछ लोगों का मानना है कि संघ ने भैयाजी जोशी को यह ज़िम्मेदारी मंदिर के लिए जमीन खरीद से जुड़ी अनियमितताओं की खबरें सामने आने के बाद सौंपी है। संघ के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि ज़मीन खरीद में कोई घोटाला नहीं हुआ है, पर इस तरह की खबरें और आरोप उसे भी चिंता में डाल रहे हैं। संघ चाहता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर निर्माण से जुड़ी परियोजना में किसी तरह का संदेह न रहे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुद्दा सिर्फ अयोध्या नहीं है। RSS की नजर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर भी है, ऐसा पहली बार होगा कि संघ के दो बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले एक साथ उत्तर प्रदेश में रहेंगे।
संघ 2022 के विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के लिए किसी तरह की गुंजाइश छोड़ना नहीं चाहता। उसके अगले साल 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष भी है। लिहाजा RSS ने कुछ बेहद अहम फैसले लिए हैं। RSS अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन स्थल के रूप में तैयार करना चाहता है। हाल में मंदिर विजन प्रोजेक्ट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी यह उम्मीद जताई थी कि पूरी अयोध्या को इस तरह से तैयार किया जाए कि हर हिन्दू जीवन में एक बार जरूर यहां आना चाहे। प्रधानमंत्री इस प्रोजेक्ट पर करीबी नजर रखे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के सबसे विश्वस्त अधिकारी रहे नृपेन्द्र मिश्र इस ट्रस्ट के मुखिया हैं।