24 C
Mumbai
Sunday, November 24, 2024
होमब्लॉगघाटी में लौटा सिनेमाओं का दौर

घाटी में लौटा सिनेमाओं का दौर

कश्मीर में 32 साल बाद सिनेमा हॉल्स की वापसी

Google News Follow

Related

आज हम बात करेंगे कश्मीर की जिसे 32 साल बाद एक नयी तरह की आजादी मिली है। कश्मीर के शोपियां और पुलवामा के बाद अब श्रीनगर में भी सिनेमा हॉल खुल गए है। 1990 के बाद अब श्रीनगर में पहला सिनेमा हाल शुरू हुआ है। ये सोचनेवाली बात है कि भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में जहां अभिव्यक्ति की पूरी आजादी है वहाँ सिनेमा पर ये पाबंदी आखिर किसने लगाई? 32 वर्ष का यह प्रतिबंध लगाया था आतंकवादियों ने और तीन दशकों तक हमारे देश में कभी इसे लेकर कोई सवाल नहीं उठाया गया कि आतंकवादियों को हमारे ही देश के एक हिस्से में प्रतिबंध लगाने की यह ताकत आखिर किसने दी। 

बता दें कि कश्मीर के सिनेमाघरों में आखिरी फिल्म 32 वर्ष पहले अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की फिल्म शोले थी। वहीं आज लाल सिंह चड्ढा की प्रिलियम से घाटी में एक नई शुरुवात हुई है। हालांकि सिनेमा हॉल का उद्घाटन  हुआ है लेकिन आम लोगों के लिए इसका संचालन 30 सितंबर से शुरू होगा। इन लम्हों के लिए कश्मीर को करीब 32 साल इंतजार करना पड़ा। 1990 में जो सफर जय और वीरू की दोस्ती  पर खत्म हुआ था वो श्रीनगर में लाल सिंह चड्ढा से शुरू हो गया। कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यहाँ मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन किया। श्रीनगर में  खुले आइनोक्स मल्टीप्लेक्स यहाँ 520 सीटों की  कुल क्षमतावाले 3 मल्टीप्लेक्स खोले गए है।   

करीब तीन दशक से आतंकवाद की आग में झुलसी श्रीनगर के लिए यह दिन अमन की नई सुबह लेकर आया है। यह मल्टीप्लेक्स ना सिर्फ श्रीनगर के लोगों के लिए मनोरंजन लेकर आया है। बल्कि एक भरोसा लेकर भी आया है, कि लंबी कोशिशों के बाद सरकार घाटी में आतंकवाद की क्रूरता तोड़ने में कामयाब रही है। वो 31 दिसंबर 1990 की तारीख थी। श्रीनगर के मशहूर सिनेमाघर प्लडियम में शोले फिल्म लगी हुई थी, लेकिन आतंकियों के फरमान के बाद फिल्म का प्रदर्शन रोक दिया। इस तरह शोले फिल्म श्रीनगर के सिनेमा हॉल में चलनेवाली आखिरी फिल्म बन गई। 1990 में शोले से जो सिलसिला रुका वह अब फिल्म लाल सिंह चड्ढा से फिर शुरू हो गया।   

सिनेमा हॉल को लेकर घाटी में बदलाव की शुरुवात दो दिन पहले ही शुरू हो गई थी। रविवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीर के शोपियां और पुलवामा में दो सिनेमा हॉल की शुरुवात की। उन्होंने वहाँ बैठकर फिल्म भी देखी। 5 अगस्त 2019 को जब मोदी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर घाटी को नई पहचान देने का संकल्प किया था। तब आलोचक इस फैसले को बड़ी भूल करार दे रहे थे। लेकिन तीन साल बाद कश्मीर से आ रही ये तस्वीरे लोगों को खुश कर रही है कि घाटी में बहार के दिन लौट आए है। आज कश्मीर में एक बार फिर लाइट कैमरा और एक्शन की आवाजें गूंजने लगी है।  

श्रीनगर में सिनेमा हॉल शुरू कराने में एक व्यक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। वह है श्रीनगर सिनेमा प्रोजेक्ट के चेयरमैन विजय धर। बॉलीवुड का श्रीनगर और कश्मीर के साथ रिश्ता बहुत अटूट रहा है। श्रीनगर में सिनेमाहॉल की शुरुवात को घाटी एक नई सुबह के रूप में देख रहा है। कश्मीर शुरू से ही बॉलीवुड के लिए एक पसंदीदा लोकेशन रहा है। श्रीनगर में यादगार कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। अगर आप फिल्में देखने के शौकीन हैं, तो आपने वर्ष 1964 में आई शम्मी कपूर और शर्मिला टैगोर की फिल्म कश्मीर की कली जरूर देखी होगी। डल झील पर फिल्माए गए इस फिल्म के गीत आज भी लोगों को कश्मीर और वहां की खूबसूरत वादियों की याद दिलाते हैं। कश्मीर के दिलकश नजारे, हरी-भरी वादियां, बर्फ से ढके पहाड़ और सुनहरे पत्तों से ढके चिनार के पेड़ हमेशा से ही फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों को आकर्षित करते रहे हैं। हर निर्देशक की ख्वाहिश होती है कि वो एक बार कश्मीर में शूटिंग जरूर करे और इसीलिए भारतीय सिनेमा की कई बेहतरीन और कामयाब फिल्मों की शूटिंग कश्मीर में की जा चुकी है।  चाहे वो शम्मी कपूर और सायरा बानो की जंगली हो, ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की सुपरहिट फिल्म बॉबी हो या सनी देओल की बेताब हो। फिल्मों की वजह से कई जगहों के नाम बदल गए जैसे गुरमर्ग में बॉबीहट बना, बेताब फिल्म शूट हुई तो बेताब वैली बनी गई। इसी तरह हाइवे, राजी, हैदर और बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों में भी कश्मीर पूरी खूबसूरती के साथ किसी किरदार की तरह मौजूद है।    

लेकिन 1989 में जब आतंकवाद का खौफनाक दौर शुरू हुआ तो, कश्मीर के वादियों से सिनेमा दूर भागने लगा। जम्मू कश्मीर रिबरेशन फ्रंट और हिजबूल मुजाहिद्दीन के फरमान के बाद 1990 में धड़ाधड़ सिनेमा हॉल बंद होने लगे। श्रीनगर, अनंतनाग, बारामूला, सोपोर, हंदवाड़ा और कुपवाड़ा में 19 सिनेमाघरों को 1990 को बंद कर दिया गया। हालांकि अब कश्मीर में सिनेमाहॉल के खुलने से लोगों में उम्मीद की एक नई किरण पनप रही है। श्रीनगर में मल्टीप्लेक्स खुलने से कश्मीरियों को तीन दशक से अधिक समय के बाद बड़े पर्दे पर फिल्में देखने का मौका मिलेगा। जम्मू-कश्मीर के सिनेमा प्रेमी एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर फिल्मों का आनंद ले सकेंगे। इस सिनेमा हॉल में कश्मीरी हस्तशिल्प ‘खतमबंद’ और ‘पपीयर माचे’ का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे सबसे अलग और खास बनाता है। यह कश्मीर का पुश्तैनी काम है। कारीगरों के काम को पूरा करने में ढाई महीने लगे। हालांकि कश्मीर में मल्टीप्लेक्स खुलने पर स्थानीय लोगों के बीच काफी खुशी का माहौल है। 

ये भी देखें 

भारत छोड़ो आंदोलन तो फ्लॉप, फिर कैसे मिली आजादी?

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
195,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें