27 C
Mumbai
Saturday, November 23, 2024
होमक्राईमनामागोधरा ट्रेन कांड के दोषी को 17 साल बाद सर्वोच्च न्यायालय से...

गोधरा ट्रेन कांड के दोषी को 17 साल बाद सर्वोच्च न्यायालय से मिली जमानत

फारुक को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था।

Google News Follow

Related

वर्ष 2002 में गोधरा में ट्रेन कोच को जलाने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी को गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि वह पिछले 17 वर्षों से जेल में है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने दोषी फारूक की तरफ से पेश वकील की दलील को स्वीकार कर लिया कि जेल में अब तक बिताई गई अवधि को ध्यान में रखते हुए फारुक को जमानत दी जानी चाहिए। वहीं, गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि यह ‘सबसे जघन्य अपराध था’ जिसमें महिलाओं और बच्चों समेत 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था, जिसके आधार पर दोषियों की याचिकाओं पर जल्द से जल्द सुनवाई किए जाने की जरूरत है। 

बता दें कि फारूक समेत कई अन्य लोगों को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था। मेहता ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वैसे तो पथराव मामूली प्रकृति का अपराध माना जाता है, लेकिन इस मामले में ट्रेन के कोच को अलग किया गया था और यह सुनिश्चित करने के लिए उस पर पथराव किया गया था कि यात्री बाहर न आ सकें। इसके अलावा दोषियों ने दमकल कर्मियों पर भी पत्थर फेंके गए थे। वहीं शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, “मामले के तथ्यों पर गौर फरमाते हुए फारूक द्वारा दायर की गई जमानत अर्जी मंजूर की जाती है। आवेदक को भारतीय दंड संहिता की धारा-302 (हत्या) के तहत दंडनीय अपराध का दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।” 

इस मामले पर पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने नौ अक्टूबर 2017 को दोषी की अपील खारिज कर दी थी। आवेदक ने इस आधार पर जमानत मांगी है कि वह 2004 से हिरासत में है और लगभग 17 साल तक कारावास में रहा है। ऐसे में मामले के तथ्यों, परिस्थितियों और आवेदक की भूमिका को देखते हुए हम उसे ऐसे नियमों और शर्तों के अधीन जमानत देने का निर्देश देते हैं, जो सत्र अदालत द्वारा तय की जा सकती है। मेहता ने कहा कि ये याचिकाएं अंतिम सुनवाई के लिए तैयार हैं और अब इन्हें सूचीबद्ध किया जा सकता है। वहीं प्रधान न्यायाधीश ने शीर्ष विधि अधिकारी मेहता को सुझाव दिया कि वह उन मामलों का विवरण प्रदान करें, जिनकी सुनवाई की जानी चाहिए और आश्वासन दिया कि वह विवरणों की जांच करेंगे। बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी, जिससे 59 यात्रियों की मौत हो गई थी और राज्यभर में सांप्रदायिक दंगे फैल गए थे। जिसमें फारूक समेत कई अन्य लोगों को साबरमती एक्सप्रेस के कोच पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था।

ये भी देखें 

यूपी के पूर्व विधायक व माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को 10 साल की कैद !

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
194,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें