पहली बार त्वचा कैंसर का एक ऐसा टीका तैयार किया गया है, जिसकी खुराक के बाद मरीजों में मौत के जोखिम को 44 फीसदी तक कम देखा गया। वहीं विशेषज्ञों का दावा है कि नया टीका कैंसर के इलाज में बड़ा विकल्प साबित हो सकता है। बता दें कि इस टीके को मॉर्डना और फाइजर के कोविड-19 की दवा बनाने में इस्तेमाल की गई तकनीक से तैयार किया गया है। इस टीके के दूसरे चरण में इसे कीट्रूडा दवाई के साथ मिलाया गया। इसके जो नतीजे आए उनसे साफ था कि इसकी वजह से त्वचा कैंसर के दोबारा होने या मौत की आशंका में 44 फीसदी तक की कमी आई है।
परीक्षण के दौरान लगभग 157 मरीजों को टीके की खुराक दी गई। ये मरीज मेलेनोमा कैंसर के तीसरे या फिर चौथे चरण से जूझ रहे थे। इलाज के बाद उनके ट्यूमर को सर्जरी करके हटा दिया गया था। कीट्रूडा, एक एंटीबॉडी है जिसे मेलेनोमा, फेफड़ों के कैंसर के अलावा सिर और गले के कैंसर के इलाज में प्रयोग किया जाता है। कैंसर रिसर्च से मिले आंकड़ों के मुताबिक, ब्रिटेन में हर साल 36 पुरुष और 47 महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी स्किन कैंसर से जरूर पीड़ित होते हैं।
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में एमआरसी सीनियर क्लीनिकल फेलो और कंसलटेंट कोलोरेक्टल सर्जन प्रोफेसर एंड्रयू बेग्स की मानें तो यह एक गेम चेंजर वैक्सीन है, जिसे एमआरएनए तकनीक से तैयार किया गया है। इस टीके की खुराक स्किन कैंसर में इम्यूनोथैरेपी की प्रभावशीलता को बढ़ाती है। यह इम्यून सिस्टम के लिए प्रतिक्रिया देने वाली टी-सेल्स को मजबूत करता है। ऐसे में इस टीके की खुराक स्किन कैंसर में इम्यूनोथैरेपी की प्रभावशाीलता को बढ़ाती है। यह इम्यून सिस्टम के लिए प्रतिक्रिया देने वाली टी सेल्स को मजबूत करता है।
दरअसल मेलानोमा त्वचा कैंसर का सबसे खराब रूप है. वर्ष 2020 में इसके करीब 325,000 नए मरीज सामने आए। कंपनी के बयान में कहा गया है कि वर्ष 2022 में मेलेनोमा से लगभग 8,000 लोगों के मरने की आशंका है। मैसेंजर आरएनए कोशिकाओं के भीतर का एक अणु है, जो प्रोटीन बनाने के निर्देश देता है। वैज्ञानिक उन्हें शरीर में एक विशेष प्रोटीन बनाने के लिए डिज़ाइन कर सकते हैं, जो वायरस और दूसरी बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है।
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