पिछले कुछ दिनों से देखने में आ रहा है कि महाराष्ट्र में वरिष्ठ पदों पर बैठे कुछ नेताओं द्वारा इतिहास की महान हस्तियों के बारे में आपत्तिजनक बयान दिए गए हैं| देखा गया कि इन बयानों से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। उसके बाद अब कर्नाटक में सेवानिवृत्त प्रोफेसर के. एस. भगवान श्रीराम को लेकर भगवान का बयान चर्चा में आ गया है। खास बात यह है कि चूंकि उन्होंने वाल्मीकि रामायण में सीधे तौर पर अपने बयान का जिक्र किया है, इसलिए इससे विवाद पैदा होने की आशंका है।
सेवानिवृत्त प्रोफेसर और प्रसिद्ध लेखक के. एस. भगवान ने इस संबंध में बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बयान दिया है| “वर्तमान में लोग चर्चा कर रहे हैं कि राम राज्य बनाया जाना चाहिए। लेकिन अगर आप वाल्मीकि की रामायण के उत्तरकांड को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि भगवान राम आदर्श नहीं थे। उसने 11 हजार वर्ष तक शासन नहीं किया। उन्होंने केवल 11 वर्षों तक शासन किया”, भगवान का दावा है।
“भगवान राम दोपहर के समय सीता के साथ बैठते थे और शेष दिन शराब पीते थे। उन्होंने अपनी पत्नी सीता को वन भेज दिया। उसने उसके बारे में नहीं सोचा। उन्होंने एक पेड़ के नीचे तपस्या कर रहे एक शूद्र शम्बूक का सिर काट दिया। तो वे आदर्श कैसे हो सकते हैं?” भगवान् ने भी ऐसा प्रश्न उठाया है।
इस बीच भगवान ने चार साल पहले भी ऐसा ही बयान दिया था। उस समय भी उन्होंने वाल्मीकि रामायण के उत्तरकाण्ड कांड का उल्लेख किया था। हालांकि, यह दावा किया जाता है कि वाल्मीकि रामायण के अंतिम भाग उत्तरकांड को वाल्मीकि ने नहीं लिखा था, बल्कि बाद में जोड़ा गया था।
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