मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर जारी विवाद पर गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने विवादित परिसर का सर्वेक्षण एडवोकेट कमिश्नर से कराये जाने की अनुमति दी है। बनारस की ज्ञानवापी परिसर की तर्ज पर अब मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि का भी सर्वेक्षण किया जाएगा। बताया जा रहा है कि यह सर्वेक्षण वीडियोग्राफी और फोटोग्राफ़ी के माध्यम से किया जाएगा। हालांकि, एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा, सर्वेक्षण कब शुरू होगा, इसके बारे में गुरूवार को कुछ नहीं बताया गया। पर माना जा रहा है कि 18 दिसंबर को इस पर फैसला आ सकता है।
गौरतलब है कि, भगवान श्री कृष्ण विराजमान कटरा केशव देव की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने इस पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 16 नवंबर को पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। बताया जा रहा है कि 18 दिसंबर को कोर्ट सर्वे की रूपरेखा तय करेगी। इसके साथ इसी दिन यह भी तय होगा कि एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा? और सर्वेक्षण कब से शुरू होगा यह भी बताया जाएगा।
वहीं, गुरुवार को एक और अर्जी दाखिल की गई। जिसमें मांग की गई है कि मथुरा के श्री कृष्ण जन्म भूमि से जुड़े सभी विवादों की सुनवाई एक साथ की जाए। बता दें कि इस विवाद से जुड़े 18 मुकदमें दाखिल किये गए हैं। इन सभी मुकदमों की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट कर रहा है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि जिस जगह पर वर्तमान में शाही ईदगाह है, वह पहले भगवान श्रीकृष्ण जन्म भूमि का हिस्सा रहा है। याचिका में मांग की गई है कि 13.37 एकड़ जमीन को हिन्दुओं को सौंपने और वहां पूजा पाठ करने की इजाजत मांगी गई है।
इतना ही नहीं, इस मामले में 1968 का किया गया समझौता को गलत बताया गया है। बता दें कि इस मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 26 मई 2023 को सुनवाई करने का फैसला किया था। वहीं, कोर्ट के फैसले पर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कानून का मजाक बताया है। उन्होंने कहा कि “इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे करने की इजाजत दी है। बाबरी मस्जिद फैसले के बाद मैंने कहा था कि संघ परिवार की शरारत बढ़ेगी। “
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