पीएम मोदी ने 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति पुतिन के निमंत्रण पर 8-9 जुलाई को रूस का आधिकारिक दौरा किया।यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद मोदी की यह पहली रूस यात्रा थी।भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है और लगातार बातचीत व कूटनीति के जरिए संघर्ष के समाधान की पैरवी की है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने मोदी की मॉस्को यात्रा की आलोचना की थी।मोदी और पुतिन की बैठक को लेकर उन्होंने कहा था, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को ऐसे दिन मॉस्को में दुनिया के सबसे बड़े खूनी अपराधी को गले लगाते देखकर बड़ी निराशा हुई।यह शांति प्रयासों के लिए एक झटका है।भारत ने उनकी टिप्पणी पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा, मुझे लगता है कि भारत एक महान शक्ति है जो खुद ही अपने राष्ट्रीय हित तय करता है और अपने भागीदार चुनता है।हम जानते हैं कि भारत पर भारी दबाव पड़ रहा है, जो पूरी तरह से अनुचित है। लावरोव प्रधानमंत्री मोदी की हालिया मॉस्को यात्रा और रूस के साथ ऊर्जा सहयोग को लेकर भारत की हो रही आलोचना के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत खुद फैसला करेगा कि उसे किसके साथ कैसे व्यवहार करना है और कैसे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी है। लावरोव मॉस्को की अध्यक्षता में होने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठकों की अध्यक्षता करने के लिए न्यूयॉर्क में हैं। यूएनएससी की जुलाई महीने की अध्यक्षता रूस के पास है।
लावरोव ने जिक्र किया कि विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पश्चिमी देशों का दौरा करने के बाद इन सवालों के जवाब दिए हैं। जिनमें यह भी शामिल है कि भारत रूस से अधिक तेल क्यों खरीद रहा है।उन्होंने कहा कि जयशंकर ने आंकड़ों का हवाला दिया, जो दिखाते हैं कि पश्चिमी देशों ने भी कुछ प्रतिबंधों के बावजूद रूस से गैस और तेल की खरीद बढ़ाई है।
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