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प्रयागराज महाकुंभ 2025: कैसे लगाया जाता है श्रद्धालुओं के आकड़े का अनुमान!

2013 के कुंभ में पहली बार सांख्यिकीय तरीके का इस्तेमाल किया गया| इसमें स्नान के लिए जरूरी जगह और समय को आधार माना गया|

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प्रयागराज महाकुंभ पिछले तीन दिन में देश-विदेश से आए करीब 6 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं|अनुमान है कि कुल 45 दिनों में 45 करोड़ लोग कुंभ में स्नान करने के लिए पहुंचेंगे| अब सवाल आता है कि इतने बड़े धार्मिक आयोजन में स्नान करने वालों यानी श्रद्धालुओं की गणना कैसे की जाती है और उनका आकंड़ा कैसे लगाया जाता हैं?

प्रयागराज में इस साल का कुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और यह 26 फरवरी तक चलेगा| वहीं, प्रशासन का दावा है कि पहले शाही स्नान (14 जनवरी) के दिन ही 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई| पिछले तीन दिन में 6 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं|

2013 के कुंभ में पहली बार सांख्यिकीय तरीके का इस्तेमाल किया गया| इसमें स्नान के लिए जरूरी जगह और समय को आधार माना गया| आंकड़ों के अनुसार एक व्यक्ति को स्नान के लिए 0.25 मीटर जगह और 15 मिनट का समय चाहिए|

इस तरह, एक घंटे में एक घाट पर लगभग 12,500 लोग स्नान कर सकते हैं| इस साल, प्रयागराज में 44 घाटों को स्नान के लिए तैयार किया गया है| अगर इन सभी घाटों पर 18 घंटे तक लगातार स्नान हो, तो भी प्रशासन की तरफ से दिए गए आंकड़ों से यह संख्या काफी कम बैठती है| यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ‘एक्स’ पर इन 45 दिनों के दौरान 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई गई है|

बता दें कि कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की गिनती का सिलसिला 19वीं सदी में शुरू हुआ था| 1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर गिनती की थी| रेलवे टिकट बिक्री के आंकड़ों से भी मेले में पहुंचने वाले लोगों का अनुमान लगाया गया| उस समय, लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं के संगम तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था| 1906 के कुंभ में करीब 25 लाख लोग शामिल हुए थे|1918 के महाकुंभ में करीब 30 लाख लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी|

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सीसीटीवी की भी मदद : इस बार कुंभ मेले में भीड़ का आकलन करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस {एआई) का सहारा लिया जा रहा है| मेले में 200 स्थानों पर अस्थाई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं| साथ ही पूरे प्रयागराज शहर में 268 जगहों पर 1107 अस्थाई कैमरे लगाए गए हैं| 100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर 700 से अधिक सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जो वाहनों और श्रद्धालुओं की गिनती में मदद करते हैं|

श्रद्धालुओं, साधु-संतों और अखाड़ों : श्रद्धालुओं की संख्या का अंदाजा नावों, ट्रेनों, बसों और निजी वाहनों से आने वाले लोगों की गणना से भी लगाया जाता है| साधु-संतों और अखाड़ों में आने वाले भक्तों की गिनती को भी कुल आंकड़ों में जोड़ा जाता है| हालांकि, एक ही व्यक्ति की गिनती कई बार हो सकती है, क्योंकि कई लोग अलग-अलग घाटों पर स्नान करते हैं या मेले के अलग अलग हिस्सों में घूमते हैं|

पहले कैसे होती थी गिनती?: पहले गिनती थोड़ी आसान भी थी, लेकिन अब बढ़ती भीड़ और शहर में यातायात प्रबंधन की वजह से यह काम काफी जटिल हो गया है| वर्ष 2013 से पहले मेले में आने वाले लोगों की संख्या का अनुमान डीएम और एसएसपी की रिपोर्ट के आधार पर लगाया जाता था| इसमें बसों, ट्रेनों और निजी वाहनों के आंकड़े शामिल होते थे| अखाड़ों से भी उनके भक्तों की जानकारी ली जाती थी|

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