सूरत। सात लाख श्रमिक अपने गांव चले गए। एक हफ्ते की बंदी में 1050 करोड़ रुपए का कपड़ा कारोबार ठप हो गया। व्यापारियों को डर है कि सभी मजदूर चले गए तो पिछले साल जैसी स्थिति आ जाएगी। मजदूरों को बुलाने में बहुत दिक्कत होगी। अब प्रतिदिन सूरत के कपड़ा कारोबार को 150 करोड़ का नुकसान हो रहा है। दो माह के 5 सीजन से 10 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है, लेकिन अब तक 25-30 फीसदी ही हो पाया है। 22 अप्रैल से शादी का सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन पाबंदियों के कारण कपड़ा बाजार में खरीदी काफी कम है।
सूरत टेक्सटाइल गुड्स ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष युवराज देसले के अनुसार सूरत से अन्य राज्यों में एक ट्रक कपड़ा भी नहीं जा रहा है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, केरल, कर्नाटक और बिहार में लाकडाउन की वजह से कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है। एसजीटीईए महामंत्री सुनील जैन के मुताबिक, अप्रैल, मई और जून में अच्छा कारोबार होता है। मार्च से अप्रैल तक सीजन का 25 से 30% कारोबार हुआ है। पूरे देश में जब स्थिति सुधरेगी तभी कारोबार पटरी पर आ पाएगा। अभी तो मई में होने वाला कारोबार भी हाथ से निकलता जा रहा है। फोस्टा के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल के अनुसार मार्केट से 50% श्रमिक पलायन कर चुके हैं। जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो बचे श्रमिकों को रोक पाना मुश्किल होगा।