भारत का निर्माण क्षेत्र अब सिर्फ ईंट-पत्थर तक सीमित नहीं रहा। टेक्नोलॉजी, टिकाऊपन और टैलेंट की तिकड़ी ने इस इंडस्ट्री को नई रफ्तार दी है। Ciel HR Services की ताज़ा रिपोर्ट इस बदलाव की गवाही देती है — जिसके अनुसार देश के बिल्डिंग मटेरियल्स सेक्टर में 2023 से 2025 के बीच 30 प्रतिशत की भर्ती वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट से यह भी सामने आया कि सबसे अधिक रोजगार के अवसर हैदराबाद में पैदा हुए हैं, जहां अकेले 14 प्रतिशत जॉब पोस्टिंग्स दर्ज हुईं।
इस बढ़ती हुई मांग के पीछे मुख्य वजह है देश में शहरीकरण की तेज़ रफ्तार, इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स की बढ़ती संख्या। इसके अलावा, 3D प्रिंटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी उभरती तकनीकों ने मैन्युफैक्चरिंग की प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया है। आज के दौर में कंपनियां न सिर्फ निर्माण पर ध्यान दे रही हैं, बल्कि वह सस्टेनेबिलिटी और एनवायरनमेंट फ्रेंडली मॉडल्स पर भी निवेश कर रही हैं।
Ciel HR के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम, शहरीकरण और रियल एस्टेट की मांग के चलते निर्माण और उससे जुड़ी इंडस्ट्रीज़ को मजबूती मिल रही है। यही कारण है कि इस सेक्टर में रोजगार के नए अवसर बन रहे हैं और दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं भी खुल रही हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि देश भर में 5.5 लाख से अधिक प्रोफेशनल्स इस सेक्टर से जुड़े हैं। यह अध्ययन 105 बिल्डिंग मटेरियल कंपनियों और 2,763 जॉब पोस्टिंग्स के विश्लेषण पर आधारित है। मांग में वृद्धि का स्पष्ट संकेत यह है कि कंपनियां अब केवल ट्रेडिशनल प्रोफाइल पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि अब वे मटेरियल साइंस, लाइफसायकल एनालिसिस, ग्रीन सर्टिफिकेशन और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोफाइल्स के लिए भी टैलेंट की तलाश कर रही हैं।
हालांकि उद्योग में गति तेज़ है, लेकिन जेंडर असमानता अब भी एक गहरी समस्या बनी हुई है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि इस इंडस्ट्री में महिलाओं की भागीदारी मात्र 12 प्रतिशत है — जो प्रमुख क्षेत्रों में सबसे कम आंकड़ों में से एक है। यह आंकड़ा इस तेजी से बढ़ते सेक्टर के भीतर एक अनकहे भेदभाव की ओर इशारा करता है।
भौगोलिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत के टियर-I शहर इस भर्ती ट्रेंड के मुख्य केंद्र बन चुके हैं। हैदराबाद के बाद बेंगलुरु (13 प्रतिशत), दिल्ली-NCR (12 प्रतिशत), चेन्नई (8 प्रतिशत), अहमदाबाद और पुणे (7 प्रतिशत) जैसे शहरों ने भी प्रमुख हिस्सेदारी दर्ज की है। यह शहर अब सिर्फ टेक या फाइनेंस के नहीं, बल्कि निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के भी नए पावरहाउस बनते जा रहे हैं।
भारत में जहां एक ओर तकनीक-संचालित इकोनॉमी बन रही है, वहीं निर्माण इंडस्ट्री उसकी ठोस नींव बनती जा रही है। पर सवाल ये है कि क्या ये नींव समान अवसरों पर भी टिकेगी? क्या महिला पेशेवरों को भी इस निर्माण की प्रक्रिया में बराबरी का स्थान मिलेगा? और क्या आने वाले सालों में यह ग्रोथ सिर्फ आंकड़ों तक सीमित रहेगी या बदलाव की असली ईंटें भी रखी जाएंगी?
कहना गलत नहीं होगा कि भारत का बिल्डिंग मटेरियल्स सेक्टर अब सिर्फ कंक्रीट नहीं, बल्कि करियर और क्रांति की नींव बन रहा है।
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