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अफगानिस्तान से 5 लाख अमेरिकी हथियार गायब: अलकायदा के हाथ लगने की आशंका!

यह मामला सिर्फ अफगानिस्तान की सीमाओं तक सीमित नहीं रहा — यह अब एक वैश्विक सुरक्षा संकट में तब्दील हो चुका है।

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2021 में जब अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान से कदम पीछे खींचे, तो पीछे छूट गया सिर्फ एक अशांत देश नहीं — बल्कि लाखों की संख्या में घातक हथियारों का ऐसा जखीरा, जो अब दुनिया के लिए नासूर बन सकता है। अब सामने आई जानकारी ने वॉशिंगटन से लेकर काबुल तक हड़कंप मचा दिया है: करीब 5 लाख अमेरिकी हथियार अफगानिस्तान से गायब हो चुके हैं।

इन गायब हथियारों में न सिर्फ आधुनिक राइफल्स और मशीन गनें शामिल हैं, बल्कि नाइट विज़न डिवाइसेज़, बख्तरबंद गाड़ियाँ और हाई-टेक कम्युनिकेशन सिस्टम्स भी शामिल हैं। और यही वो तथ्य है जो सुरक्षा विश्लेषकों की नींदें उड़ा रहा है — क्योंकि इन हथियारों के अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों के हाथ लगने की आशंका अब और भी प्रबल हो गई है।

2021 में अमेरिकी फौज की अचानक वापसी के बाद तालिबान ने जब अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाया, तो उसने अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए करीब 10 लाख सैन्य उपकरणों को अपने नियंत्रण में ले लिया। उस वक्त यह मुद्दा उठा ज़रूर था, लेकिन तब तक बहस इस पर केंद्रित थी कि अमेरिका इतनी भारी सैन्य सामग्री छोड़कर कैसे जा सकता है।

अब, तीन साल बाद, जब लगभग 5 लाख हथियारों का कोई अता-पता नहीं है, तो यह मामला सिर्फ अफगानिस्तान की सीमाओं तक सीमित नहीं रहा — यह अब एक वैश्विक सुरक्षा संकट में तब्दील हो चुका है।

तालिबान ने हाल ही में स्वीकार किया है कि कुछ हथियार “गायब” हो गए हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने किसी आतंकी संगठन को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया। यह ‘स्वीकारोक्ति’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक खुला खतरे का संकेत है। न तो ट्रैकिंग की कोई पारदर्शी व्यवस्था है, और न ही यह साफ है कि इन हथियारों का इस्तेमाल अब कौन और कहां कर रहा है।

अमेरिका और उसके सहयोगी देश अब तालिबान से निगरानी और पारदर्शिता की सख्त मांग कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये है — क्या तालिबान, जो खुद एक कट्टरपंथी सत्ता संरचना है, उन हथियारों की पारदर्शी निगरानी कर भी सकता है? या फिर यह सब एक रणनीतिक चुप्पी के तहत कहीं और भेजा जा चुका है?

आशंका यह भी है कि इनमें से कई हथियार अब अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में पहुंच चुके हैं, और वहां से सीरिया, इराक, या अफ्रीकी आतंकी गुटों तक पहुंचना कोई कठिन बात नहीं।

ये कोई आम चोरी नहीं — यह सैन्य हथियारों का वह ‘ब्लैक होल’ बन गया है जिसमें झांकना भी अब मुश्किल है। राइफलों और बख्तरबंद गाड़ियों का तालिबान के नियंत्रण से बाहर जाना, सिर्फ एक क्षेत्रीय चिंता नहीं — बल्कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को एक नया आयाम दे सकता है। जिस अफगान युद्ध को समाप्त मानकर अमेरिका ने पन्ना पलट दिया था, वह अब गायब हथियारों के ज़रिए एक नए, खतरनाक अध्याय की भूमिका लिख रहा है।

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